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जानें ‘फेट्टी-लीवर’ डीजीज को !

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कई बार हम जाने अनजाने में अपनी जीवनशैली को अपने हिसाब से किसी मतवाले ड्राइवर की तरह चलाने लग जाते हैं,शायद यही मतवालापन लीवर सम्बन्धी समस्याओं को उत्पन्न करने का कारण बन जाता है ,आईये आज हम यकृत यानी लीवर सम्बन्धी एक समस्या जिसे सामान्य भाषा में ‘फेट्टी-लीवर ‘ के नाम से जाना जाता को संक्षिप्त रूप से समझने का प्रयास करेंगे Iहम सभी इस बात को जानते होंगे की लीवर की कार्यक्षमता में आया परिवर्तन शरीर में भोजन को पचाने की क्षमता के साथ-साथ,न्युट्रीएंट्स को अवशोषित करने की क्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है जिनकी परिणति ‘फेट्टी -लीवर डीजीज’ के रूप में होती है !यह लीवर की कार्यक्षमता में आनेवाली गड़बड़ी का सबसे सामान्य कारण है जो खुद का एक कारण है और अन्य लीवर से सम्बन्ध रखने वाली बीमारियों का कारण भी है I
क्या है ‘फेट्टी लीवर ‘?

लीवर में सामान्य कोशिकाओं की अपेक्षा चर्बी-कोशिकाओं का पाया जाना ही ‘फेट्टी-लीवर’ कहलाता है ,अर्थात सामान्य यकृत उतकों के बीच के रिक्त स्थान को ये ‘फेट्टी-लीवर’ कोशिकाएं कब्जा लेती हैं जिस कारण कोशिकाओं के समूह उतकों में काफी फैलाव एवं भारीपन उत्पन्न हो जाता है I
‘फेट्टी-लीवर’ के कारण क्या है ?
लीवर में उत्पन्न इस असामान्य स्थिति के दो प्रमुख कारण हैं :-

1.एल्कोहलिक
2.नान -एल्कोहलिक
अक्सर जो लोग सामान्य या अधिक मात्रा में निरंतर शराब का सेवन करते है वे कालांतर में ‘फेट्टी-लीवर’ डीजीज से पीड़ित हो सकते है इसके अलावा एल्कोहलिक लीवर डिजीज माता-पिता से भी बच्चों में आ सकती है I
इसके अलावा हीपेटाईटिस-सी,आयरन ओवरलोड ,मोटापा एवं खान पान की गड़बड़ी भी इसका कारण बन सकती है I
आज की परिस्थितयों में नान-एल्कोहलिक ‘फेट्टी-लीवर’ डीजीज जिसे ‘एनएएफएलडी’ भी कहा जाता है लीवर सम्बन्धी परेशानियों का बड़ा कारण है I यह तबतक एक सामान्य अवस्था है जबतक कि यह बढकर लीवर में सूजन उत्पन्न कर कोशिकाओं को नष्ट न कर दे !
अर्थात ‘फेट्टी-लीवर’ से पीड़ित लोगों में सामान्य या अधिक मात्रा में शराब का सेवन लीवर के लिए घातक हो सकता है I इस कारण लीवर का साइज सामान्य से बड़ा हो सकता है तथा लीवर की सामान्य कोशिकाओं का स्थान डेमेज्ड कोशिकाएं ले सकती हैं जो आगे चलकर लीवर सिरोसिस,लीवर फेलियर ,लीवर कैंसर या लीवर के बीमार होने के कारण होनेवाली मृत्यु का कारण बन सकता है I
नान-एल्कोहलिक ‘फेट्टी-लीवर’ डीजीज के कारण क्या है ?
-कुछ परिवारों में आनुवांशिक रूप से देखा जाता है और कोई स्पष्ट कारण नजर नहीं आता है हां मध्य आयु वर्ग या मोटे लोगों में अचानक इसकी पहचाम हो जाती है I
-अत्यधिक दवाओं के सेवन ,वायरल हीपेटायटिस,अचानक वजन कम होने एवं कुपोषण के कारण भी यह उत्पन्न हो सकता है I
-हाल के कुछ अध्ययन अनुसार आँतों में कुछ विशेष प्रकार के जीवाणुओं की वृद्धि भी नान-एल्कोहलिक ‘फेट्टी-लीवर’ डीजीज का कारण बन सकती है I
किन लक्षणों से हम इसे पहचान सकते है :
प्रारम्भिक अवस्था में इसमें कोई ख़ास लक्षण उत्पन्न नहीं होते है ,हाँ कभी-कभी पेट की दाहिनी और एक हल्का दर्द महसूस होता है ,जो लीवर में फेट् की वृद्धि के कारण उत्पन्न होता है कालांतर में यह बढ़ते हुए लीवर सिरोसिस की स्थिति उत्पन्न कर देता है जिसे फूले हुए पेट,त्वचा में खुजलाहट,उल्टी,भ्रम ,मांसपेशियों में कमजोरी एवं आँखों में उत्पन्न पीलापन से पहचाना जा सकता है I
कैसे बचें फेट्टी-लीवर’ डीजीज से और इसके चिकित्सा क्या है ?
-जैसे यह डायग्नोजड हो वैसे ही तत्काल शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए I
-नान-एल्कोहलिक ‘फेट्टी-लीवर’ डीजीज की कोई विशेष चिकित्सा उपलब्ध नहीं है ,जीवनशैली में परिवर्तन लाकर,मोटापा एवं वजन कम कर तथा दैनिक व्यायाम को बढ़ा कर इस स्थिति पर काबू पाया जा सकता है I
अतः निम्न विन्दुओं पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए :-
*वजन कम करना
*हेल्दी डायट का चयन
*शरीर को नियमित व्यायाम के माध्यम से सक्रिय रखना
*डायबीटीज को नियंत्रित रखना
*शरीर में कोलेस्टेरोल की मात्रा को नियंत्रित रखना
‘फेट्टी-लीवर’ डीजीज और आयुर्वेदिक चिकित्सा :
लीवर से सम्बंधित समस्याओं में आयुर्वेदिक चिकित्सा एक बेहतर विकल्प है,आयुर्वेदिक् चिकित्सा में अनेक ऐसी औषधियां उपलब्ध हैं जिनका यकृत पर प्रोटेक्टिव प्रभाव देखा जाता है I
ऐसी ही कुछ औषधियां निम्न हैं -यकृतप्लिहान्तक चूर्ण जो भूमिआमलकी,कुटकी,पुनर्नवा,मकोय ,कालमेघ,कासनी,पुनर्नवा,शर्पुन्खा,भृंगराज जैसी वनस्पतियों का मिश्रंण बेहतरीन मिश्रण है यह लीवर को प्रोटेक्ट करने के साथ-साथ लीवर सिरोसिस एवं एल्कोहलिक लीवर डीजीज में भी बेहतरीन प्रभाव देता है I
-पुनर्नवा-मंडूर भी ‘फेट्टी-लीवर’ डीजीज में एक बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि के रूप में कार्य करता है,इसमें गौमूत्र,त्रिवृत,पुनर्नवा,शुंठी ,पिप्पली,मरीच,विडंग,देवदारू ,चित्रकमूल ,पुष्करमूल ,हरीतकी,विभितकी,आमलकी,दारूहरिद्रा ,हरिद्रा,दंतीमूल,चव्य ,इन्द्रयव् ,पिप्पलीमूल,मुस्तक आदि औषधियों का प्रयोग होता है I
-आरोग्यवर्धिनीवटी,फेट्टी-लीवर’ डीजीज में प्रयुक्त होनेवाला एक प्रचलित शास्त्रीय योग है यह लीवर से टाकसिंस को बाहर निकालकर इसे स्वस्थ रखता है I यह कुटकी शुद्ध पारद ,शुद्ध गंधक,लौह भस्म ,अभ्रक भस्म,ताम्र भस्म ,हरीतकी,विभितकी,आमलकी ,शुद्ध शिलाजीत,शुद्ध गुगुलू एवं चित्रक मूल इन सभी के संयोग से बना एक विशिष्ट योग है जो लीवर से अतिरिक्त फेट को बाहर निकाल देता है तथा इसकी क्रियाशीलता को बढाता है I
अर्थात जीवनशैली,आहार-विहार को संयमित कर हम अपने शरीर के स्टोर हाउस को स्वस्थ एवं सुरक्षित रख सकते हैं !
आप सभी के स्वास्थ्य की मंगलकामनाओं के साथ !
नोट :उपरोक्त जानकारी जनसामान्य को फेट्टी-लीवर’ डीजीज के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से दी गयी है,किसी भी प्रकार की औषधि का प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में ही किया जाना चाहिए I

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