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खड़े होकर खाने के क्या है नुकसान

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हमने जैसे जैसे अपनी प्राचीन परंपरा और खाने के तौर तरीकों को बदला है धीरे धीरे हम नई नई परेशानियों को पैदा कर रहै हैं ।प्राचीन भारतीय संस्कृति में एक साथ परिवार के सभी सदस्यों के जमीन पर बैठ कर खाने की घरों में परंपरा थी।आजकल हम अक्सर पार्टीयों में बफेट (एक साथ खड़े होकर खाने) की परंपरा को अपनाने लगे है।पार्टी चाहे छोटी हो या बड़ी सभी एक साथ टेबल पर परोसे गये खाने को खड़े होकर खाना नई संस्कृति का फैशन बन गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि खड़े होकर खाना कहाँ तक सही है?लोग आजकल समय बचाने के चक्कर में भी जल्दी-जल्दी खड़े होकर खाना लेना पसंद करते हैं।हम खाना किस तरह बैठकर या खड़े होकर लेते हैं यह बात हमारी पाचन प्रक्रिया को पूरी तरह से प्रभावित करता है।जब हम बैठकर खाना खाते हैं तो भोजन धीरे -धीरे पेट से नीचे उतरता है जबकि हम यदि खड़े होकर भोजन लेते हैं तो अपेक्षाकृत भोजन तेजी से नीचे उतरता है ऐसा क्यों होता है इसके सही कारण अब तक अज्ञात हैं, लेकिन इसमें गुरुत्वाकर्षण सभवतः एक कारण हो सकता है।महिलाओं में किये गये एक शोध अध्ययन से यह पता लगा है कि वैसी महिलाएं जो भोजन के तुरंत बाद बैठ या लेट जाती हैं उनमें भोजन का पाचन में 22 मिनट अधिक समय लगता है।एक अन्य शोध अध्ययन जिसमे भोजन करने के बाद फौरन , लेटने ,बैठने और खड़े होने या घूमने वाले लोगों में पाचन प्रक्रिया में आये परिवर्तनों को देखा गया तो पाया गया कि जो लोग भोजन करने के तत्काल बाद लेट जाते हैं उनमें बैठने ,खड़े होने या घूमने वाले व्यक्तियों की तुलना में 54 से 102% अधिक समय भोजन को पचाने में लगता है जबकि जो लोग भोजन के बाद चलते फिरते हैं उनमें भोजन जल्दी और आसानी से पच जाता है।शोधकर्ताओं ने भोजन के बाद सीधे बैठ जाने या खड़े हो जाने वालों के बीच भी पाचन का तुलनात्मक अध्ययन किया तो पाया कि जो लोग भोजन के बाद खड़े होते हैं उनमें भोजन का पाचन तुरंत होता है।बैठकर तेजी से भोजन करने वालो में भी भोजन को पचाने में लगा समय खड़े होकर भोजन करनेवालों के लगभग समान होता है।
अतः यह कहा जा सकता है कि भोजन करने के दौरान हम बैठे हैं या खड़े हैं और भोजन के तत्काल बाद हमारी एक्टिविटी क्या है ये सभी भोजन के पाचन की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।खड़े होकर खाने में अक्सर अधिक भोजन (ओवरईटिंग) की संभावना बनती है कुछ लोगों में यह भ्रांति है कि खड़े होकर खाने से वे अपना वेट लूज करते हैं ऐसा बिल्कुल नही है उल्टे इससे वे अपना वजन बढ़ा लेते हैं।बैठकर भोजन करने से संही में भोजन कर तृप्त होने का एक एहसास होता है।हम यह कह सकते हैं कि खड़े होकर खाने से हम खाने की रफ्तार को बढ़ाते हैं जिससे ओवरईटिंग का खतरा होता है तथा अधिक कैलरी कन्ज्यूम की जाती है जबकि बैठकर धीरे-धीरे चबा कर खाने से हम कम कैलरी कन्ज्यूम करते हैं और भोजन का पाचन ठीक होता है।
अतः आप यह समझ सकते हैं कि यदि अपने पाचन तंत्र को ठीक रखना है तो खड़े होकर भीजन लेना बंद करें और आज से ही बैठकर भोजन करना प्रारंभ करें इससे आपका पाचन सम्यक होने लगेगा ।स्वास्थ्य संबंधी अधिक नूतन जानकारियों को पढ़ने के लिये लिंक पर क्लिक करें।

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