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प्रेगनेंसी एवं मार्निंग सिकनेस!

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प्रेगनेंसी किसी भी महिला के लिए जीवन की एक सरल घटना कतई नहीं मानी जा सकती I माता का शरीर एक नए क्रीयेचर को सामने लाने के लिए कई सारे परिवर्तनों के कठिन दौर से गुजरता है,और इसी में एक लक्षण प्रेगनेंसी के दौरान उत्पन्न होने वाला मार्निंग-सिकनेस है,इसमें प्रेग्नेंट महिला सुबह के समय या पूरी दिन उल्टी जैसी इच्छा से दो चार होती रहती है I लगभग 85% महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान मार्निंग-सिकनेस से पीड़ित होती हैं,ऐसा प्लेसेंटा से निकलनेवाले ‘गोनेडो-ट्रपीन’ नामक हारमोन के स्तर में अचानक हुई वृद्धि के कारण होता है I मार्निंग-सिकनेस की शुरुवात प्रेगनेंसी के 4-9 सप्ताह से प्रारंभ हो जाती है और 7-12 वें सप्ताह में यह लक्षण अपने चरम पर होता है I कुछ महिलाओं में यह 12-16 वें सप्ताह में कम हो जाता है जबकि कुछ में यह कई हफ़्तों -महीनों या पूरे प्रेगनेंसी के दौरान रहता है I कुछ महिलाओं में यह लक्षण नहीं उत्पन्न होता है !
अब आप सोच रहे होंगे इसमें नया क्या है?
नयी बात यह है कि ‘जर्नल आफ रेप्रोडेकटिव टाक्सिकोलोजी’ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार जिन महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान मार्निंग-सिकनेस जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं उनमें मिसकेरेयेज की संभावना कम होती है तथा यह हेल्दी (स्वस्थ ) प्रेगनेंसी का एक लक्षण है I टोरंटो स्थित ‘हॉस्पिटल फार सिक चिल्ड्रेन’ के शोधकर्ताओं ने 1992-2012 के बीच पांच देशों की 8,50000 प्रेगनेंट महिलाओं में किये गए इस अध्ययन जिनमें दस अलग- अलग शोध किये गए और निष्कर्ष कुछ यूँ पाए गए :-
1..वैसी माताएं जिन्हें प्रेगनेसी के दौरान मार्निंग -सिकनेस उत्पन्न हुआ उनमें प्रीमेचुवर बर्थ 6.5 % पाया गया जबकि जिनमें यह लक्षण उत्पन्न नहीं हुआ उनमें इसका %9.5 था I
2.उन माताओं में जिनमें प्रेगनेंसी के दौरान मार्निंग-सिकनेस उत्पन्न नहीं हुआ उनमें मिसकेरेयेज होने की संभावना तीन गुनी अधिक पायी गयी I
3.माताएं जो 35 साल से अधिक उम्र की थी उनमें मार्निंग सिकनेस एक ‘प्रोटेक्टिव इफेक्ट’ उत्पन्न करता हुआ पाया गया I
4 .मार्निंग-सिकनेस के कारण प्रेगनेंट माताओं में बर्थ-डीफेक्ट होने की संभावना 30 से 80 प्रतिशत तक कम हो जाती हैं I
इसके अलावा मार्निंग-सिकनेस लक्षणों से प्रेगनेंसी पूर्ण करने वाली माताओं के बच्चों का आई.क्यू. स्कोर,भाषायी कमांड एवं सामान्य व्यवहार बेहतर पाया गया I

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