जानें क्यूँ उपयोगी हैं पर्वतीय व्यंजनों में भांग के बीज!

भांग के बीज भूरे और काले रंग के होते हैं इसका स्वाद तीखा और कड़वा होता है।पर्वतीय क्षेत्रों में इसके बीज से चटनी बनायी जाती है जिसे भांग और जीरे को अलग अलग भून कर इसका पेस्ट बनाकर इसमें आवश्यकतानुसार नमक,मिर्च और नीबू निचोड़कर सेवन किया जाता है।इसके बीजों की न्यूट्रीशीयस् वेल्यु बड़ी ही महत्वपूर्ण है इसमें 30% चर्बी जो लाइनोलिक एसिड ओमेगा -6 एवं ओमेगा -3 यानि अल्फ़ा -लाइनोलिक एसिड से युक्त होते हैं।
इनमें गामा -लिनोलिक एसिड भी पाया जाता है जो अत्यंत पोषक होता है।भांग के बीज प्रोटीन के महत्वपूर्ण स्रोत हैं लगभग 25% कुल केलोरी इन्ही प्रोटीन से प्राप्त होती है।
भांग के बीज विटामिन-ई एवं मिनरल्स जैसे फास्फोरस,पोटेशियम,सोडियम,
मैग्नीशियम,सल्फर,कैलसियम,लौह तत्व एवं ज़िंक के भी स्रोत हैं।
चीन में भांग के बीजों से निकाले गए तेल का प्रयोग 3000 सालों से औषधि के रूप में होता रहा है।
भांग के बीज हृदय रोगों की संभावना को कम कर देते हैं।इनमें उच्च मात्रा में आरगीनीन् एमिनो एसिड होता है जो शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड गैस बनाता है यह गैस खून की नालियों को फैलाने के साथ साथ तनावमुक्त रखती है जिससे ब्लड प्रेसर कम रहता है और हृदय रोग की संभावना कम हो जाती है।
एक और बड़े अध्ययन जिसमें 13000 लोगों को शामिल किया गया से यह बात सामने आयी है कि आर्गिनीन प्रोटीन को लेने से शरीर में c-reactive protein का स्तर कम हो जाता है जिसे हृदय रोगों में इंफ्लेमेटरी मारकर कहा जाता है।
कुछ और अध्ययन भी इस बात को साबित करते हैं कि भांग के बीज से प्राप्त तेल ब्लड प्रेशर को कम करने के साथ साथ खून के क्लॉट(थक्का) बनने की संभावना को भी कम कर देता है जिससे हृदयाघात के बाद भी हृदय शीघ्र स्वस्थ हो पाता है।
भांग के बीजों में स्थित तेल मेंपाया जानेवाला फैटी एसिड त्वचा रोगों में लाभ देता है ।महिलाओं में मासिक धर्म से सम्बंधित समस्याओं में भांग के बीजों में मिलनेवाला गामा लाइनोलिक एसिड अत्यंत उपयोगी होता है जो प्रोस्टाग्लेंडिन ई 1 उत्पन्न करता है जो प्रोलेक्टिन के प्रभाव को कम कर देता है।इससे पोस्ट मीनोपौजल सिंड्रोम के लक्षणों में भी लाभ मिलता है।भांग के बीज पाचन प्रक्रिया को भी ठीक करते हैं।