कोलकाता ।प्रख्यात मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ प्रोफेसर सुनील जोशी से मर्म चिकित्सा सीखना एक अनूठा अनुभव रहा है।कोलकाता में आयुष दर्पण फाउंडेशन एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद द्वारा आयोजित कांफ्रेंस के दूसरे दिन आयोजित मर्म चिकित्सा के वर्कशाप एवं शिविर में यह विचार सिलीगुड़ी से आई तिब्बती चिकित्सा पद्धति की जानकार डॉ जामयांग डोलमा ने व्यक्त किये।24 दिसंबर रविवार को कोलकाता शहर के मध्य स्थित भारतीय भाषा परिषद के आडीटोरियम में लोगों की कतारें देखी गई।कोई अपनी कमर दर्द से परेशान था,तो कोई कंधे की तकलीफ से,किसी के घुटने नही मुड़ रहे थे,किसी को चलने में तकलीफ थी।ये सब मर्म चिकित्सा से ठीक होने की उम्मीद की तलाश में सुबह से ही भारतीय भाषा परिषद, शेक्सपीयर सरणी में जमा होने लगे थे।और जब मर्म चिकित्सा का लाभ इन्हें तुरंत मिला तो बढ़ती रोगियों की संख्या ने आयोजकों के हौंसले पस्त कर दिए।कोलकाता के डॉ जे ड़ी बर्मन, गुहाटी के डॉ चितरंजन सुराल, डॉ लोखी प्रोभा डोले,डॉ रूमा मजुमदार,डॉ नागेंद्र राव,डॉ हसी राव,डॉ मिताली बोरो मणिपुर की डॉ रोजलिन सुल्ताना, डॉ वेदोत्रई डे एवं खटीमा (उत्तराखंड) से आये डॉ अजय श्रीवास्तव के लिए मर्म चिकित्सा की बारीकियां सीखना एक नया अनुभव रहा।मर्म चिकित्सा शिविर का कुशल संचालन डॉ नवीन जोशी ने किया।इस अवसर पर आयुष विभाग भारत सरकार के उपसलाहकार डॉ एस रघु,एनबीआरआई लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए के एस रावत एवं मॉरीशस के श्री प्रेम भुझावन ने भी मर्म चिकित्सा की बारीकियां सीखी।कार्यक्रम में आयुष दर्पण फाउंडेशन के पंडित मनीष उप्रेती(एफ आर ए एस) ,अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के श्री कुंजबिहारी सिंघानिया एवं आयुष दर्पण फाउंडेशन के संस्थापक डॉ नवीन जोशी ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये।