मानव शरीर पर ब्रह्मांड की गतिविधियों का प्रभाव
1 min readआप सभी ने मानव शरीर पर ब्रह्माण्ड के प्रभाव को पुरातन काल से ही समझा है।महर्षि चरक प्रणीत ग्रंथ चरक संहिता में *यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे’* का मतलब है कि जो भी इस ब्रह्माण्ड में है वही हमारे शरीर में भी स्थित है। यह सत्य है कि सम्पूर्ण जगत पंचभौतिक है जीव की मृत्यु उपरांत यह पंचभौतिक शरीर पुनः उन्ही तत्वों में विलीन हो जाता है । ब्रह्मांड और मानव शरीर में सामान्यता को महर्षि चरक बताते हैं
यावन्तो हि लोके मूर्तिमन्तो भावविशेषा:।
तावन्त: पुरुषे यावन्त: पुरुषे तावन्तो लोके॥
ब्रह्माण्ड में चेतनता है उसी प्रकार मनुष्य भी चेतन है। वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक गतिमान रहता है। परन्तु यदि किन्ही कारणों से यदि वह रुग्ण हो जाता है और यदि गति करने में अक्षम हो जाता है तो इसमें जड़ता आने लगती है।
पिछले कई वर्षों में शोधकर्ताओं ने मानव शरीर के चारों तरफ स्थित मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन किया है।शोधकर्ताओं ने महज इंसानी जिस्म के चारों ओर स्थित मैग्नेटिक फील्ड के साथ साथ ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड सहित इनके आपस मे प्रभावों का भी विस्तार से अध्ययन किया है।वैज्ञानिकों ने इन सभी मैग्नेटिक फील्ड्स के साथ मानव मानव के बीच भी इन मैग्नेटिक फील्ड्स म प्रभावों का विस्तृत अध्ययन किया है। इन सभी के आपस के कनेक्शन एवं प्रभावों पर गहनता से अध्ययन किया जा रहा है। शोधकर्ताओं की विशेष रुचि इस बात को जानने में है कि किस प्रकार मानव मस्तिष्क एवं ह्रदय आपस मे इंटरेक्ट करते हैं
साथ ही हम मानव मानव के शरीर के मैग्नेटिक फील्ड्स के बीच का इंटरेक्शन सहित हमारे शरीर पर ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड्स का असर क्या है इन सभी तथ्यों पर विशेष अध्ययन किया जा रहा है। इसे हम एक उदाहरण से कुछ यूं समझ सकते हैं कि यदि एक व्यक्ति खुश है या फिर कृतज्ञताके भाव से पूर्ण है या किसी से अपनत्व या प्रेम के भाव मे सराबोर है तो उस व्यक्ति के हृदय से किस प्रकार की संवेदना प्रेषित होती है क्योंकि हृदय शरीर से बाहर सबसे अधिक एलेक्ट्रोमेग्नेटिक फील्ड सम्प्रेषण करता है अतः शोधकर्ताओं के लिये विशेष अध्ययन का केंद्र भी हृदय ही है। केलिफोर्निया स्थित हरथ मैथ इंस्टिट्यूट में इस प्रकार के शोध अध्ययनों को प्रकाशित किया जा चुका है जिसमे मानव शरीर के नियमित ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम की ऐक्टिविटी में सोलर (सूर्य) एवं जियोमेट्रिक एक्टिविटी (ग्रहो के चाल) के प्रभाव को देखा गया अपितु अलग समय पर हो रही जीओमेटिक एक्टिविटी का भी अध्ययन किया गया।
इन सभी अध्ययनों में यह पाया गया कि मानव शरीर में स्थित रेगुलेटरी सिस्टम कुछ इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि यह सीजनल ,जियोमेट्रिक परिवर्तनों को आसानी से एडाप्ट कर लेता है।सौर मंडल में आई तीव्र गतिविधियों जैसे जीओमैग्नेटिक स्टोर्मस मानव शरीर स्थित रेग्युलेटरी सिस्टम पर तनाव उत्पन्न करते हैं जिससे शरीर मे मेलाटोनिन ,सेरेटोनिन का बैलेंस बिगड़ जाता है,रक्तचाप सहित,इम्मयून सिस्टम ,रिप्रोडक्टिव एवं कारडीयक एक्टिविटी भी प्रभावित होती हैं।कई बार मायोकार्डीयल इंफॉर्क्शन (हृदयघात) से मृत्यु सहित खून के प्रभाव में अवरोध,रक्त नलिकाओं में खून के थक्के बनने जैसी गतिविधियो में वृद्धि हो जाती है और कई बार यह मौत का कारण भी बन जाती है।