नई शोध:आहारनाल तय करती है हमारी पर्सनल्टी

नई शोध: आयुर्वेद हमारे शरीर मे शारिरिक एवं मानसिक दोषों की साम्यता को स्वस्थ रहने का मूल आधार मानता है।रोगः सर्वेsपि मन्दग़नौ उद्धृत कर सभी रोगों की उत्पत्ति के पीछे अग्नि के मन्द होने को मूल कारण मानता है।13 प्रकार की अग्नियों में जठरग्नि को प्रधान मानता है।नई शोध पर गौर करें तो विज्ञान की भाषा भले ही बदल गई हो पर गूढ़ अर्थ कहीं न कहीं प्राचीन तथ्यों की ही पुष्टि करता जाना पड़ता है।
क्या आप ऐसा सोच भी सकते हैं कि आपके आहार नाल में स्थित जीवाणु आपकी पर्सनैलिटी को बदल सकते हैं या आप की प्रकृति पर अपना प्रभाव डाल सकते हैं,हालिया एक शोध को देखें तो आहार नाल में स्थित जीवाणुओं की प्रजातियों का सीधा प्रभाव हमारी प्रकृति पर पड़ता पाया गया है।शोध के अनुसार शरीर के आहारनाल मे स्थित जीवाणु यह तय कर सकते हैं कि आप अपने व्यवहार में कितने तनावयुक्त या फिर एंजाइटी युक्त या कितने सामाजिक होंगे।यानि हम कह सकते हैं कि हमारा पाचन तंत्र काफवे हद तक हमारे स्वभाव,मानसिक स्थिति को तय करता है।ऐसा प्रायः देखा गया है कि पाचन तंत्र की समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति की सामाजिक जिम्मेदारियां भी प्रभावित होती है प्रायः ऐसा व्यक्ति शादी व्याह या पार्टीयों में भाग लेने या लोगों से घुलने मिलने से परहेज ही करता है।अतः आयुर्वेद की यह बात शत प्रतिशत सत्य साबित होती है जिसमे सभी रोगों का मूल कारण आहारनाल स्थित जठरग्नि को कहा गया है और यही बात आधुनिक शोध भी सिद्ध कर रही है।