आयुष दर्पण

स्वास्थ्य पत्रिका ayushdarpan.com

जड़ी बूटियों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनता हिमांचल

1 min read
हिमांचल प्रदेश अब जड़ी बूटी उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है ।शतावरी और सर्पगंधा जैसे औषधीय पौधों के लिये हाल तक अन्य राज्यों पर निर्भर इस राज्य ने स्वयं को इन औषधीय पौधों की स्थानीय पौध तैयार करने के मामले में भी स्वयं को आत्मनिर्भर बना लिया है।पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

औषधीय पौधों के लिये मुफीद हिमालयी राज्य हिमांचल अब जड़ी बूटियों के मामले में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है ।अश्वगंधा और शतावरी जैसे पौधों के लिये हाल तक दूसरे राज्यो पर निर्भर रहने वाले इस राज्य ने इस मामले में भी स्वयं को स्वावलम्बी बना लिया है।आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने क्षेत्रीय सुगमता केंद्र जोगेंद्र नगर के सहयोग से ऊना जिले में एक बड़ी नर्सरी स्थापित कर ली है।इस नर्सरी में उन्नत किस्म के एस्पेरेगस रेसीमोसस एवं रुलफीया सरपेंटाईना के पौधे तैयार किये जायेंगे।इस नर्सरी के माध्यम से पूरे राज्य में शतावरी एवं सर्पगंधा के पौधे उपलब्ध कराये जाएंगे।इस नर्सरी से किसानों को शतावरी पर 30 प्रतिशत एवं सर्पगंधा पर 50 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जाएगा ।इन दोनों ही पौधों से खेती करने का प्रशिक्षण भी क्षेत्रीय सुगमता केंद्र जोगेंद्रनगर के माध्यम से किसानों को दिया जायेगा ।जोगेंद्र नगर स्थित उत्तरभारत सुगऔषधीय पौध सुगमता केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ अरुण चन्दन के अनुसार अब हिमाचल को इन पौधों के मामले में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ठोस पहल कर दी गई है ।

Facebooktwitterrssyoutube
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2019 AyushDarpan.Com | All rights reserved.