आयुष दर्पण

स्वास्थ्य पत्रिका ayushdarpan.com

लगातार इंफेक्शन से हैं परेशान तो पढ़ें ये लेख

1 min read
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail


अक्सर बारिश के मौसम में हमें तपती गर्मी से थोड़ी बहुत राहत मिलती है लेकिन बारिश के बाद अक्सर हमने देखा है कि धूप और छांव का खेल जारी रहता है ,बारिश में अचानक से आई धूप वातावरण में एक नमी की स्थिति पैदा करती है और यह बैक्टीरिया, फंगस एवं वायरल संक्रमणों के लिए एक अनुकूल वातावरण पैदा करती है ।आपने अक्सर देखा होगा कि बारिश के बाद आई धूप में हम अक्सर खांसी, बुखार,गले के संक्रमण जैसी समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं और इसके पीछे अगर निदान की बात की जाये तो नैदानिक कारणों में हमें टाइफाइड ,मलेरिया डेंगू एवं अन्य वायरल संक्रमण ही नजर आते हैं ।अक्सर लोग इस ऋतु में चिकित्सक के पास चिकित्सकीय सलाह के लिए जाते हैं और एंटीबायोटिक एवं अन्य दवाएं लेते हुए देखे जाते हैं ।अक्सर कुछ लोग तो बार- बार इस प्रकार के हो रहे संक्रमण के कारण हो रही परेशानी से बचने के लिये नियम से एंटीबायोटिक का सेवन करते रहते हैं।हाँ यह सत्य है कि इन दवाओं से कुछ समय के लिये बुखार,हाथ पैरों में दर्द एवं कमजोरी जैसी समस्याओं से आपको। राहत तो मिल जाती है लेकिन इसके साथ ही गिफ्ट के रूप में पाचन तंत्र की समस्या,भूख न लगना और अक्सर सर दर्द बना रहना जैसी समस्याएं भी मिल जाती है।
*अब प्रश्न यह उठता है कि ऐसी स्थिति में एक सामान्य व्यक्ति क्या करें* ?
आईये हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिसको अपनाकर आप हर प्रकार के जीवाणु ,विषाणु एवं फंगल संक्रमण से बचे रह सकते है।
– सबसे पहले एक नियमबदध जिंदगी जीना आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुव्यवस्थित रखने हेतु अत्यंत आवश्यक होता है अतः अपनी जीवन चर्या को नियमित कर प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत डालें। ऐसा देखा गया है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रातः काल में उठता है और एक निश्चित दूरी तक खुली हवा में सैर करता है वह व्यक्ति किसी भी मौसम में प्राय बीमारियों से बचा रहता है, इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण प्रातः कालीन वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा है ।हम प्रातः काल की सैर के दौरान अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन को अपने शरीर के अंदर फेफड़ों के माध्यम से पहुंचाते हैं जो हमारी रक्त नलिका ओं के सहारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली कोशिकाओं तक पहुंचता है और यह कोशिकाएं सुव्यवस्थित हो अपने प्रतिरक्षा तंत्र को और अधिक मजबूत कर देती हैं जिस कारण हमें किसी भी मौसम में किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचने में मदद मिलती है।
– आप अपने आसपास मिलने वाली वनस्पतियों में से कुछ ऐसी वनस्पतियां हैं जिन्हें को थोड़ी मात्रा में ताजी रूप से नियमित सेवन करें तो भी आप किसी भी प्रकार के जीवाणु एवं विषाणुजनित संक्रमण से बचे रह सकते हैं ,उदाहरण के तौर पर यदि आप नीम की 3 ताजी पत्तियों को प्रातः काल बस चबा लें तो भी आप किसी भी प्रकार के विषाणु एवं जीवाणुजनित संक्रमण से बचे रह सकते हैं ।इसी प्रकार आप यदि नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की एक गांठ के छोटे से टुकड़े को साफ कर मुंह में रख नियमित रूप से चूसें ऐसा करने से भी आप वायरल एवं बैक्टीरियल संक्रमण से बचे रह सकते हैं ।इसी प्रकार तुलसी के 4 पत्तों को आप नियमित रूप से सेवन कर भी आप खांसी -जुखाम आदि से बचे रह सकते हैं।
– नियमित रूप से गुनगुने पानी के साथ शहद का प्रयोग भी आपको रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हुए तंदुरुस्त स्वास्थ्य को बरकरार रखने में मदद देता है।
– नियमित रूप से प्राणायाम का प्रातः काल अभ्यास जिसमें अनुलोम -विलोम कपालभाति ,भस्त्रिका प्राणायाम सहित भ्रामरी का गुंजन भी आपको तरोताजा एवं किसी भी मौसम में होने वाले संक्रमण से बचाता है।
– साथ ही यदि आप एक नेति पाट में गुनगुने पानी में एक चुटकी भर सेंधा नमक मिलाकर अपने एक नासिका छिद्र में उस हल्के नमक युक्त जल को गुनगुने जल को यदि आप दूसरी नासिका से एक धार के रूप में निकालते हैं और फिर दूसरी नासिका से भी इसी क्रम को दोहराते हैं यह प्रक्रिया ‘जलनेति’ कहलाती है इस प्रक्रिया को नियमित रूप से प्रयोग करने से व्यक्ति किसी भी प्रकार के गले के संक्रमण जुकाम ,एलर्जी राइनाइटिस साइनसाइटिस आदि समस्याओं से बचे रह सकते हैं। साथ ही नेत्र की ज्योति सहित दृष्टि दोष दूर होता है।
*किन बातों का रखें ख्याल*:-
बारिश
के मौसम में आप सबसे पहले अचानक से बारिश में भीगने एवं फिर धूप में जाने से भी बचें। यह स्थिति आपके बदन में कहीं ना कहीं नमी छोड़ देती है जिस कारण वह नमी वाला स्थान फंगस एवं बैक्टीरिया के ग्रोथ के लिए एक उचित माध्यम हो जाता है ।दूसरा बारिश के मौसम में आप अपने टॉयलेट्स को बिल्कुल हाइजीनिक वे में साफ -सुथरा रखें क्योंकि अक्सर बारिश के मौसम में यह देखा गया है कि सार्वजनिक टॉयलेट में प्रयोग करने से इस प्रकार के संक्रमण मूत्रमार्ग जनित संक्रमण के रूप में हमें परेशान कर देते हैं ।अतः प्रयास यह करें कि हम सार्वजनिक टॉयलेट में जहां सफाई की व्यवस्था ना हो वहां प्रयोग करने से बचें एवं यदि हम इन टॉयलेट्स को साफ सुथरा एवं बेहतर रखें तो हम बारिश के मौसम में होने वाले मूत्रमार्ग जनित संक्रमण सहित अन्य संक्रमण से भी बचे रह सकते हैं।
– बारिश में अक्सर आप बासी भोजन एवं बासी सब्जियों के सेवन से बचें ,ऐसा देखा गया है कि बारिश के मौसम में अक्सर बाजार में आनेवाली फल सब्जियां सड़ी गली होती है ऐसी सब्जियों को यदि अच्छे प्रकार से पकाकर सेवन न किया जाए तो निश्चित मानिये कि आप पेट के संक्रमण से पीड़ित हो जायेंगे तथा बेहतर है कि आप ताजी एवं साफ -सुथरी फल सब्जियों का ही प्रयोग करें एवं जब भी इनका सेवन करें यह निश्चित ध्यान रखें कि इन्हें अच्छी प्रकार से धोया गया हो।
– अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बात बारिश के मौसम में पानी के सेवन से जुड़ी हुई है आप जब भी पानी का सेवन करें वह अच्छी तरह से साफ -सुथरे स्रोत से आपके घर के अंदर आया हो,यदि आपके घर में किसी भी प्रकार से सार्वजनिक सप्लाई से गंदा पानी आ रहा है तो आप इसे अच्छी प्रकार से फिल्टर कर ,उबालकर गुनगुना कर ही सेवन करें, क्योंकि अक्सर ऐसा देखा गया है कि पानी से होने वाले वायरल हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण बरसात के मौसम में स्रोतों से आने वाले पानी में संक्रमण उत्पन्न होने के कारण आपके घर तक पहुंच आपको रोगी बना देते हैं ।जल के सेवन का विशेष ध्यान रखा जाना बरसात के मौसम में प्राथमिक आवश्यकता है।

संपादक की कलम से

Facebooktwitterrssyoutube
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

2 thoughts on “लगातार इंफेक्शन से हैं परेशान तो पढ़ें ये लेख

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2019 AyushDarpan.Com | All rights reserved.