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बारिश में डेंगू से बचाव पर विशेषज्ञ की राय

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यूं तो बरसात के मौसम में जमा हुआ पानी मच्छरों के लार्वा के लिये बेहतरीन पनाहगाह होता है जहां ये अपनी संतति को विकसित करते हैं लेकिन इनमें एडिस नामके मच्छर की संख्या में वृद्धि आपके लिये परेशानी का सबब बन सकती है ।सामान्य रूप से यह हमारी तरह मच्छर दिन के समय अधिक सक्रिय होता है और यही इसके काटने के लिये मुफीद समय होता है।काटते ही यह अपने अंदर स्थित वाइरस को हमारे शरीर के अंदर पहुंचा देता है।इस वायरस की चार प्रजातियां DENV 1-4 होती है ।
कैसे बचें डेंगू से
-सामान्य रूप से इससे संक्रमित एक मच्छर भी डेंगू वायरस के संक्रमण को आपके शरीर मे पहुंचाने के लिये पर्याप्त होता है अतः अपने बच्चो,बुजुर्गों सहित स्वयं को दिन के समय इस मच्छर के काटने से बचाएं।
– कूलर एवं ऐसी जैसे उपकरणों की नियमित सफाई अत्यंत आवश्यक है ताकि जमे हुए पानी में एडिस मच्छर अपने अंडे न दे पाये, जिससे मच्छर न पनपें।
-हो सके तो पूरे बाजू के कपड़े और पैरों को पूरा ढंक कर रखें ताकि दिन के समय मच्छर न काटें।
किन लक्षणों के उत्पन्न होने पर सावधानी बरतें
-यदि इस मौसम में अचानक से वायरल फ्लू के लक्षण उत्पन्न हों तो सावधानी बरतनी चाहिये।
-जोड़ों का दर्द,बुखार,चमड़ी पर लाल रेखाएं,उल्टी आने की इच्छा होना या उल्टी आना,मांसपेशियों में ऐंठन या दर्द उत्पन्न होना।
डेंगू से बचाव हेतु आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद के ग्रंथ माधव निदान में जिस दंडक रोग का जिक्र है उसके लक्षण प्रायः डेंगू से मिलते हैं।
-आयुर्वेदिक ग्रंथो में वर्णित अमृता (गिलोय),तुलसी ,शुंठी एवं पपीते की पत्तियों के सुखाकर बनाये गये पाउडर को उम्र के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सक की परामर्श से लेकर डेंगू के प्रकोप से बचा जा सकता है ।
-गिलोय की डंठल,पपीते के पत्ते का रस,ताजे एलो वेरा का रस एवम अनार का रस भी दिन में तीन से चार बार उम्र के अनुसार 25 से 30 मिली की मात्रा में आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से लेना डेंगू के रोगियों में घट रहे प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मददगार होता है।
-डेंगू के रोगियों में बकरी का दूध भी प्लेटलेट्स को बढ़ाने सहित रोग प्रतिरोधक क्षमता को मेंटेन रखने में मददगार होता है।
नोट:उपरोक्त जाााकारी डेंगू से बचाव हेतु जनजागृति पैदा करने के उद्देश्य से लिखी गई है किसी भी प्रकार के उपचार से पूर्व चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है।
लेखक डॉ नवीन चन्द्र जोशी ,एक जानेमाने आतुर्वेदिक चिकित्सक है तथा उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय में वरिष्ठ चिकित्सक के रूप में सेवाएं दे रहे है।

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