जानें क्यों चर्चा में हैं यह वनस्पति

आजकल जब से माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने अपने संबोधन में लद्दाख क्षेत्र में पाए जाने वाले एक औषधीय पौधे का जिक्र किया है पूरे भारत भर में इस पर एक बड़ी चर्चा शुरू हो गई है कि इस पौधे में क्या गुण है?
तो आज आइए हम जानते हैं औषधीय पौधे सोलो के बारे में, हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने सबोधन मे एक पौधे को लद्दाख क्षेत्र में मिलने वाली संजीवनी बूटी के रूप में बताया है ।माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि लद्दाख क्षेत्र में पाए जाने वाला सोलो नामके इस पौधे को हाई एल्टीट्यूड पर काम करने वाले हमारे फौजीयों सहित स्थानीय लोगों के लिए इसका उपयोग संजीवनी बूटी के रूप में किया जा रहा है । सोलो नाम की या वनस्पति उच्च हिमालयी क्षेत्रों में विशेषकर लद्दाख की घाटियों सहित कुमाऊं और गढ़वाल के भी हाई एटीट्यूड रीजन में पाई जाती है। यह वनस्पति भूख लगने की समस्या को भी कम करती है तथा थकान को भी दूर करती है। 18000 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख में खारदुंगला, चांगला और पेजिला नामक घाटियों में यह वनस्पति पाई जाती है। लद्दाखी इसे अपने स्थानीय भोजन में भी प्रयोग करते हैं जिसे वे ‘तंगथूर’ कहते हैं। इसका सेवन वे स्वास्थ्य संरक्षण के दृष्टिकोण से ही करते हैं।इसकी 3 प्रजातियां सफेद, लाल और पीले क्रमशः सोलोकार्पो सोलो मार्पो और सोलो सेरपो के रूप में पाई जाती है। लद्दाख के स्थानीय प्रेक्टिशनर एवं वैद्य भी इस वनस्पति का प्रयोग दवाओं के रूप में करते हैं ।इस वनस्पति का लेटिन नाम रोडीयोला है।इसकी पट्टोयों का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है ।लेह स्थित डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ़ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च में इस पौधे पर विगत 10 वर्षों से शोध किया जा रहा है तथा इस पौधे के व्ययवसायिक इस्तेमाल की योजना भी बनाई जा रही है। अमेरिका की सेंटर फॉर कॉम्प्लीमेंट्री एन्ड इंटीग्रेटिव हेल्थ ने इस पौधे पर शोध कर इसे मानसिक तनाव एवं अवसाद को दूर करने वाला पाया है ।इस पौधे में विपरीत परिस्थितियों में स्वयं को जीवित रखने की अद्भुत एडेप्टोजेनिक गुण पाये जाते हैं।इसके इसी गुण के कारण यह उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कार्य करने वाले हमारे फौजियों को लो आक्सीजन प्रेशर के कारण होंने वाली समस्याओं से बचाता है।