आयुष दर्पण

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च्यवनप्राश का नाम याद आते ही आपके मन मस्तिष्क में ऋषि च्यवन का नाम आ ही जाता होगा।इसी रसायन का सेवन कर ऋषि च्यवन जवान हो गये।च्यवनप्राश में अष्टवर्ग की औषधियों पर हाल ही में एक शोध हुआ है जिस शोध में यह पता चला है कि इन अष्टवर्ग की आठों औषधियों में डीएनए को संरक्षित करने की क्षमता देखी गई है।अष्टवर्ग औषधि पौधों का एक ऐसा समूह है जिसके अंदर 8 वनस्पतियां 1.वृद्धि जिसे लेटिन नाम हेबनेरीया एडजवार्थी,2.ऋद्धि लेटिन नाम हेबनेरिया इंटरमीडिया,3.मेदा लैटिन नाम पोलीगोनेटम वर्टिसीलेंटम,4.महामेदा लेटिन नाम पोलिगोनेटम

सीरहिफोलियम,5.जीवक लेटिन नाम मेलेक्सिस एकुमिनाटा,6.ऋषिवक लेटिन नाम एम मस्किफोरा,7.क्षीरकाकोली लेटिन नाम लिलियम
पोलिफ़ायलम एवं 8.काकोली लेटिन नाम रोजोकोइया प्रोसेरा हैं।ये सभी औषधियां हिमालयी क्षेत्र में 1600 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है।ये सभी वनस्पतियां शरीर को चिर युवा रखने,शरीर के स्वास्थ्य का संरक्षण रखने वाला,शरीर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने वाली,शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली होती है।इन आठों वनौषधियों पर हाल ही में एक शोध पत्र साइंस डायरेक्ट पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।उपरोक्त शोध में इन वनौषधियों में 13 फिनोलिक कंपाउंड पाये गये हैं जिनमे प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट गुण पाये गये हैैं।

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3 thoughts on “कैसे बने च्यवन ऋषि जवान:नई शोध

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