आयुष दर्पण

स्वास्थ्य पत्रिका ayushdarpan.com

जानें :पर्वतीय व्यंजनों में प्रयुक्त वनस्पति भंगीरा

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

र्वतीय क्षेत्रों में भंगीरा के बीजों का भी बड़ा ही उपयोग होता रहा है।Parilla frutescens लेटिन नाम की यह वनस्पति 1000 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर मिलती है।इसे भंगजीरा के नाम से भी जाना जाता है परंतु यह भांग से बिलकुल अलग प्रजाति है। गढ़वाल में इसे भंजिरा कुमाऊं में झुटेला आदि नामों से जाना जाता है।इसकी भी चटनी बनाकर पारंपरिक रूप से पहाड़ों में खाने का प्रचलन रहा है।यह पूर्वी एशिया में भारत,चीन,जापान एवं कोरिया तक के पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है।चाईनीज मेडीसीन में इसे zisu के नाम से औषधि के रूप में प्रयोग में लाया जाता रहा है।इसके पंचांग का ही औषधीय प्रयोग होता रहा है।पत्तियां गर्भावस्था के दौरान होनेवाले मार्निंग सिकनेस को नियंत्रित करने के काम में आती रही है।इसकी पत्तियां फ़ूड पॉयजनिंग को रोकने में भी कामयाब मानी गयी है।माडर्न चाईनीज मैटेरिया में इसकी पत्तियों को सरफेस रिलीविंग हर्ब जिसका इस्तेमाल सर्दी जुखाम को रोकने के लिये किया जाता है कि श्रेणी में माना गया है।
भंगीरा के बीजों को खांसी रोकने में अत्यंत कारगर माना गया है।बच्चों के श्वसन संस्थान से सम्बंधित परेशानियों में इसे अत्यंत कारगर माना गया है।भंगीरा के बीजों में भी पॉली अनसेचुरेटेड फैटी एसिड {PUFA) पाये जाते हैं।बीजों में 35 से 45 % तेल होता है जिसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड अल्फ़ा लाइनोलिक एसिड (ALA) पाया जाता है।दूसरी वनस्पतियों की तुलना में इसमें 54 से 64 % अधिक ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है।ये पॉली अनसेचुरेटेड फैटी एसिड हमारे शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।ये विशेषरूप से हृदय से सम्बंधित रोगो से बचाव ं,सूजन रोधी प्रभाव एवं रयुमेटोइड आर्थराइटिस से भी बचाव करते हैं।
पर्वतीय क्षेत्र के पारंपरिक भोजन में भंगीरा के बीज को सिलाम भी कहा जाता है।इसे भी भून कर नमक,मिर्च टमाटर आदि के साथ मिलाकर चटपटी चटनी खाई जाती है।इसकी खुशबू का कारण इसमें पाया जानेवाला पेरलडीहाइड है ।इसकी पत्तियों में भी केल्सियम,आयरन,पोटेशियम ,विटामिन ए, सी एवं राइबोफ्लेविन पाये जाते है।इसकी पत्तियों को फ़ूड प्रेजेर्वेटिव के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है।यानि हम यह कह सकते हैं पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से प्रयोग में लाये जाने वाले भंगीरा के बीज महज चटनी के रूप में ही नहीं बल्कि प्रोटीन एवं पॉली अनसेचुरेरेड फैटी एसिड के स्रोत होने के कारण हमें स्वस्थ एवं निरोगी रखने में भी मददगार होते हैं।

About The Author

Facebooktwitterrssyoutube
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

©2025 AyushDarpan.Com | All Rights Reserved.