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आईये जानें प्रकृति द्वारा प्रदत्त एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में

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इंग्लैंड से प्रकाशित एक जर्नल का एक सन्दर्भ आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूँ जिसमे कहा गया है कि चिकित्सा जो कि एक व्यवसाय बन चुका है इसपर पूरा नियंत्रण फार्मा स्युटिकल इंडस्ट्री का जिसे न केवल दवाओं के प्रेस्क्राइब करने तथा अध्ययन एवं शोध द्वारा भी नियंत्रित किया जाता है।अधिकांश एकेडमिक संस्थायें इनकी पेड़ एजेंट के रूप में कार्य करती हैं।आज इन्ही कारणों से लोग की रूचि प्राकृतिक पद्धतियों की तरफ बढ़ गयी है।अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट आन एजिंग के न्यूरो साईंस लेबोरेटरी के वैज्ञानिक मार्क मेट्सन का एक कथन मैंने नेट पर पाया जिसमे वे कहते हैं कि फार्मा कंपनी केवल स्वस्थ लोगों को दवा बेच ज्यादा पैसा नही कमा सकती अतः वे इस प्रकार के रिसर्च के लिये अधिक फंड नही देती जबकि वे ऐसे दवाओं के विकास के लिए पैसा उपलब्ध करती है जिसका शरीर पर निगेटिव साइड इफेक्ट हो और व्यक्ति और अधिक बीमार पड़े ।यदि हम एंटीबायोटिक्स की बात करें तो 30 %ओरल एंटीबायोटिक्स का प्रयोग यूँ ही किया जाता है अमेरिका में सबसे ज्यादा प्रचलित एंटीबायोटिक लेवाक्विन पारालीसिस, जॉइंट पेन,टेंडन रप्चर,न्यूरोलॉजिकल डेमेज जैसे कई बीमारियों का कारण बन रहे हैं।मेरे इस लेख का यह कतई मतलब नही है कि एंटीबायटिक बिलकुल ही अनुपयोगी है,हाँ सर्जरी और तीव्र संक्रमण में आज भी इनका कोई विकल्प नही है लेकिन इन सबके बावजूद हमें प्राकृतिक एंटीबायटिक प्रभाव वाले विकल्पों की तलाश भी जारी रखनी चाहिये।
आईये जानें प्रकृति द्वारा प्रदत्त कुछ एंटीबायोटिक प्रभाव वाले प्राकृतिक औषधियों के बारे में

शहद

शहद को प्राकृतिक एंटीबायोटिक का बेहतरीन विकल्प माना जाता है।शहद में पाया जानेवाला एंजाइम हायड्रोजन परॉक्साइड रिलीज करता है जो घावों को शीघ्र भरने की क्षमता के साथ ही संक्रमण को ठीक करने के गुणों से भी भरपूर है।यह पाचन तंत्र के साथ साथ ,गले के संक्रमण को भी दूर करता है।चरक संहिता में शहद के गुणों को विस्तार से बताया गया है।इसे चार प्रकार का बताया गया है जिसमे माक्षिक शहद को श्रेष्ठ बताया गया है।आयुर्वेदिक शास्त्रों के अनुसार शहद स्निग्ध,श्रमनाशक,बलवर्धक,वीर्यवर्धक एवं कांति जनक होता है।।
लहशून

हशून को एक प्रचलित आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जाना जाता है जो सामान्य सर्दी जुकाम से लेकर हीलिंग गुणों से युक्त होता है।इसमें पाया जानेवाला एलिसिन हमें बेक्टीरिया,कैन्डिडा (फंगल संक्रमण) आदि से किसी सफल एंटीबायटिक की भांति बचाता है।इसे भी हम प्राकृतिक एंटीबायटिक का एक बेहतरीन विकल्प के रूप में जान सकते हैं ।।

अदरक

अदरक को कई प्रकाशित शोध पत्रों में बताया जा चुका है। Antibacterial effect of Allium sativum cloves and Zinziber officials rhizomes against MDR clinical pathogens (Asian Pac.J.Trop Biomed) ऐसे ही कई शोध पत्र इसके एंटीबायोटिक जैसे गुणों के कारण इसे महत्वपुर्ण प्राकृतिक एंटीबायोटिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

 

 

प्याज
प्याज को भी वैज्ञानिक रूप से इसके एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण ही जाना जाता है।प्याज के कुछ कटे हुए टुकड़े मात्र आसपास के वातावरण बेक्टीरिया को दूर कर देते हैं।।

 

 

 

हल्दी

हल्दी में मिलनेवाले बायोएक्टिव पदार्थ करक्यूमिन अपने एंटीमायक्रोबीयल प्रभाव के कारण जाना जाता है।हल्दी को एंटीबायोटिक एवं एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण पूरी दुनिया में जानाजाता है ।इसे कैंसर पर कार्य करनेवाली काउण्टर एक्टिव एजेंट के रूप मे भी जाना जाता है।।

 

 

कोलूइडल सिल्वर: यह भी एक प्रकार का प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जिसका प्रयोग वर्षों से सोर थ्रोट आदि संक्रमणों को ठीक करने में किया जाता रहा है।यह सिल्वर पार्टिकल्स का एक मिश्रण है जो द्रव्य पदार्थ में कोलोइड्स की भांति मौजूद रहते हैं।सिल्वर एक हेवी मेटल है अतः इसके अच्छे प्रभावों के बावजूद इसका सावधानी से प्रयोग होना चाहिये।

एपल सिडर वेनिगर

यह भी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक के रूप में कार्य करता है।इसे एंटीफंगल,एंटीसेप्टिक गुणों के कारण जाना जाता है जो हमारे शरीर को एल्कालाइज कर देता है।यह वजन कम करने सहित कोलेस्टेरोल को कम करने में भी अत्यंत उपयोगी होता है।
ये कुछ ऐसी तीक्ष्ण प्रभाव उत्पन्न करनेवाली प्राकृतिक एन्टीबायोटिक औषधियां है जो हमारी दैनिक उपयोग सहित स्वास्थ्य संरक्षण में कार्यकारी हैं ।

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