जाने किस झाड़ी में फूल आने का मतलब ठंड आनेवाली है

रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है :फूले कास सकल मही छाई, जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई
अर्थ यह है कि जब पूरी पृथ्वी कास के सफेद फूलों से ढक जाये तो समझिये कि अब बरसात ऋतु की बिदाई तय है और शरद ऋतु आने ही वाली है।आजकल ठीक आपको अपने आसपास सफेद रंग के फूलों से युक्त लंबी लंबी 3 मीटर की ऊंचाई लिये हुए इस घास को देख रहे होंगे।लैटिन में सेक्रम स्पंटेनियम के नाम से प्रचलित यह घास आयुर्वेद में वर्णित तृण पंचमूल यानि पांच घासों में से एक है जिसकी जड़ का प्रयोग काफी उपयोगी माना गया है।चरक, सुश्रुत आदि प्राचीन आयुर्वेदीय ग्रन्थों में कास का वर्णन उपलब्ध है। इसका प्रयोग प्राचीनकाल से ही औषधि के रूप में किया जा रहा है। समस्त भारत में 1300-2000 मी की ऊँचाई तक प्राय हिमालयी क्षेत्रों में तथा अन्य प्रदेशों में खेतों के किनारे या बंजर भूमि में यह घास अधिकता से आपको मिल जाएगी। ग्रामीण लोग इसका प्रयोग घरों में फूस की छप्पर बनाने के लिए करते है। बंगाळ में भी दुर्गापूजा में कास के फूल का प्रयोग काफी होता है।इक्षु (गन्ने),कुशा घास,कास और दर्भ को तृण पंचमूल के अंतर्गत आयुर्वेदाचार्य मानते हैं जिसका क्वाथ मूत्रवह संस्थान की विकृतियों में अद्भुत लाभकारी प्रभाव दर्शाता है।
-यह मधुर, कड़वा, शीत, स्निग्ध, वात और पित्त का शमन करने वाला, कमजोरी दूर करने वाला, खाने में रुचि बढ़ाने वाला, वृष्य, तर्पक गुणों से युक्त, जलन कम करने वाला, मूत्रविरेचनीय (मूत्र को अधिक मात्रा में निकालने वाला) तथा स्तन्यजनन गुणों से युक्त होता है।
-कास का पञ्चाङ्ग तथा जड़ वमन, मानस-विकार, सांस संबंधी समस्या, रक्त की कमी तथा मोटापा कम करने वाला होता है।
-तृण पञ्चमूल (कुश, कास, शर, दर्भ, इक्षु) से सिद्ध 100-200 मिली दूध का सेवन करने से मूत्रमार्गगत रक्तस्राव (हीमेचुरीया) रुक जाता है।
-कास की जड़ का काढ़ा बनाकर, 10-20 मिली काढ़े में शहद मिलाकर देने से मूत्रकृच्छ्र (पेशाब निकलने की तकलीफ) तथा मूत्राश्मरी (पथरी) में लाभ मिलता है।
-कास की जड़ों से प्राप्त काढ़ा घाव को विसंक्रमित कर देता है जिससे घाव जल्दी भर जाता है।
-कास की जड़ को पीसकर लगाने से दाद,खुजली , सूजन एवं त्वचा संबंधी रोगों में काफी लाभ मिलता है।
-रक्तार्श(खूनी बवासीर) में यदि अधिक ब्लीडिंग तथा क्लेद हो तो समान मात्रा में मुलेठी, खस, पद्माख, रक्तचन्दन, कुश तथा कास के सुखोष्ण काढ़े का सेवन करने से लाभ मिल जाता है।
-कास के जड़ को पीसकर बनाये गए कल्क का 1 से 3 ग्राम की मात्रा में सेवन भोजन में रुचि को बढ़ाता है।
कास के गुणों को बताता हुआ यह वीडियो अवश्य देखें: