आयुष दर्पण

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चीते से भी तेज गुण हैं इस औषधि में

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ज आपको एक ऐसी औषधीय वनस्पति की जानकारी देने जा रहे हैं जिसे हिंदी में एक तेज तर्रार जानवर का नाम चीता से जाना जाता है। आप सोच रहे होंगे की ऐसी कौन सी वनस्पति होगी जिसके औषधीय गुण इतने तेज होंगे। जी हाँ,चित्रक नाम की इस झाडीदार वनस्पति के गुण बड़े ही अद्भुत हैं। इसकी पत्तियां लट्टू के आकार की या आयत के रूप में होती है। इसकी दो प्रजातियाँ होती है एक श्वेत और दूसरी लाल। प्लाम्बेगो जिलेनिका या इंडीका लेटिन नाम से प्रचलित इस वनस्पति में ‘प्ल्म्बेगिन’ नामक रसायन पाया जाता है। इस वनस्पति की जड़ों के क्षाल का औषधीय प्रयोग किया जाता है। यह अत्यंत ही गर्म और तीखे स्वभाव की वनस्पति है जिसे आयुर्वेद में कफ़ एवं वात दोष का शमन करने वाली श्रेष्ठ औषधि माना गया है।थोड़ी मात्रा में इसका प्रयोग उत्तेजना देता है, जबकि अधिक मात्रा में प्रयोग नशे का एहसास उत्पन्न करता है। इसकी जड़ों की क्षाल का प्रयोग जननेन्द्रियों को उत्तेजित करने में किया जाता है। यदि भूख कम लगने जैसी परेशानी हो तो इसे श्रेष्ठ अग्निदीपक माना गया है।
आचार्य चरक ने उद्धृत किया है:
चित्रक मूलं दीपनीय पाचनीय गुद शोथार्श:शूलहराणाम।
यथास्वं चित्रकः पुष्पे: ज्ञेयः पीत सितासीतॆ:!
यथोत्तरं स गुणवान विधिना च रसायनं।
छाया शुष्कं ततोमूलं चूर्णीकृत लिहन!!
सर्पिषा मधुसर्पिभ्याम पिबन वा पयसा यति :।
.अम्भसा वा हितान्नाशी शतं जीवति नीरुजः।
मेधावी बलवान कान्तो व् पुष्मान दीप्त पावकः।।
सन्दर्भ चरक संहिता सूत्र स्थान :25
इस वनौषधि में पाया जानेवाला कटु रस भोजन को ठीक ढंग से पचाने में मदद करता है और पाचन क्रिया को उद्दीपित करता है। इसे ग्रहणी,त्वचा रोगों,सूजन कम करने ,पाईल्स एवं पेट के कीड़ों ( वर्म ) की चिकित्सा में उचित माना गया है।बुखार या किसी भी लम्बी अवधि के बाद ठीक होने के पश्चात शरीर में आयी कमजोरी को दूर करने में चित्रक से बेहतर कोई और औषधि नहीं है। खांसी हो या पुराना नजला,चित्रक इन सभी में एक रामबाण औषधि के रूप में जानी जाती है। लीवर या प्लीहा से सम्बंधित समस्याओं में भी चित्रक एक अत्यंत कारगर औषधि के रूप में काम करता है।चाहे हो सफ़ेद दाग (श्वित्र) या किसी भी प्रकार के फोड़े या फुसियाँ जैसे चर्म रोग या गुदा मार्ग में उत्पन्न सूजन चित्रक हर स्थिति में प्रयोज्य है।चित्रक के कई प्रचलित आयुर्वेदिक योग भी हैं जिनका वैद्कीय निरीक्षण में प्रयोग किया जाना उचित है:चित्राकादिगुटिका,चित्रक हरीतकी,चित्रक घृत आदि।

इस वनौषधि के बारे में और अधिक जानकारी हेतु डाक्यूमेंट्री देखें 

 

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