सर्जरी बगैर एंटीबायटिक दवाओं के
1 min readयद्यपि प्राचीन काल एवं आयुर्वेदाचार्यों के लिए सर्जरी बिना एंटीबायटिक के सुनना कोई नई बात नही लगती है क्योंकि सुश्रुत के जमाने में तो सर्जरी बिना एनेस्थेसिया और एंटीबायटिक दवाओं के केवल उपलब्ध जड़ी बूटियों एवं प्राकृतिक संज्ञाहरण द्रव्यों से ही की जाती थी। हाँ आधुनिक सर्जरी और बिना एंटीबायटिक दवाओं के हो यह सुनना अवश्य ही अटपटा सा लगता है परंतु ऐसा करने की हिम्मत दिखाई है मेरठ के एक अस्पताल के डाक्टरों की टीम ने।83 साल के वृद्ध रोगी ओजश्वी शर्मा के 240 ग्राम के प्रोस्टेट ग्रंथि को निकालना सर्जनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम था।रोगी सात्विक प्रकृति के व्यक्ति थे एवं किसी भी प्रकार की एलोपैथिक दवायें लेना नही चाहते थे।चिकित्सकों के लिये इस उम्र में प्रोस्टेट की सर्जरी करना और बिना एंटीबायटिक दवाओं के एक बड़ी चुनौती थी। अस्पताल के एक चिकित्सक डॉ संजय जैन ने तमाम आयुर्वेदिक चिकित्सकों से संपर्क किया जिनमे डॉ स्वस्तिक जैन,चिकित्साधिकारी आयुर्वेद,हरिद्वार भी एक प्रमुख चिकित्सक थे।डॉ स्वस्तिक जैन ने भी आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों के प्रयोग में अपने अनुभवों को ईमेल के जरिये साझा किया।इसके अलावा डॉ हेमंत कुशवाह रिटायर्ड प्रोफ़ेसर एनआइए ने भी अपना अनुभव सर्जन्स के समक्ष रखा और अंत में रोगी को गिलोय,शिग्रु,आंवला,हल्दी जैसी प्राकृतिक औषधियों को वेदनशामक तथा एंटीबायटिक के विकल्प के रूप में प्रयोग कराने की योजना तैयार हुई।अच्छी बात यह थी की रोगी पूर्ण सात्विक एवं योग अभ्यासी थे।इसके बाद डाक्टरों की एक टीम जिसका नेतृत्व यूरोलोजिस्ट सुभाष यादव कर रहे थे ने रोगी को 10 दिनों पूर्व से ही आयुर्वेदिक् दवाओं पर रख दिया।इस टीम ने रोगी की दृढ इच्छाशक्ति एवं सत्व को देखते हुए लेजर तकनीक से इस आपरेशन को अंजाम दिया जो सफल रहा।यह देख कर सर्जन्स आश्चर्यचकित रह गए कि बिना एंटीबायटिक दवाओं के ही 83 साल के रोगी ओजश्वी शर्मा पूरी तरह रिकवर हो गए।मौलाना आजाद मेडिकल कालेज अस्पताल के डॉ मनोज कुमार आर्थोपेडिक विभाग के निदेशक हैं का कहना है कि अपने तरह का पूरी दुनिया में हुआ एक ऐसा आपरेशन है जिसमे आयुर्वेदिक औषधियों का सहारा लिया गया।उनका कहना है कि आजके दौर में जब एंटीबायटिक दवायें रेसिस्ट हो रही हैं तब आयुर्वेद का सर्जरी में इस प्रकार हुआ प्रयोग भविष्य में शोध के नए आयाम खोलेगा।