15 आयुर्वेदिक़ चिकित्सकों ने वैद्य बालेन्दु की कार्यशाला में किया प्रतिभाग

वैद्य बालेन्दु प्रकाश का नाम आयुर्वेद के उन चुनिंदा वैद्यो में है जिन्होंने आयुर्वेद की प्राचीन परम्परा को अपने पिता ( श्री शशि चन्द्र प्रकाश )की आयुर्वेदीय परंपरा को आगे बढ़ाया।वैद्य बालेन्दु प्रकाश को आयुर्वेदिक़ चिकित्सक के रूप में कम उम्र में राष्ट्रपति द्वारा “पद्मश्री” से सम्मानित किया गया ।वैद्य बालेन्दु प्रकाश जी ने उत्तरप्रदेश एवं उत्त्तराखण्ड की सीमा पर शशि चन्द्र रसशाला को (बिलासपुर उत्तरप्रदेश में ) स्थापित किया है।इस रसशाला मे ताजी जड़ी बूटियों से ‘अमर’ ,प्रेक् -20 जैसी आयुर्वेदिक़ दवाओं का निर्माण किया जा रहा है।वैद्य बालेन्दु की रसशाला में एक औषधि भस्म के निर्माण में लगभग 1 से 2 वर्ष का समय लगता है।वैद्य बालेन्दु प्रकाश का नाम प्रोटोकोल विकसित कर आयुर्वेदिक़ चिकित्सा करने के एक नए तरीके को विकसित करने के लिए जाना जाता है।वैद्यजी के द्वारा विकसित दवा “स्नीजक्योर” झंडू फार्मा द्वारा बाजार मे लाई जा रही है ।वैद्य बालेन्दु प्रकाश द्वारा रसशाला के समीप ही प्रकाश डेयरी स्थापित की गई है जहां देशी एवं विदेशी नस्लों की 90 गायें सेवा हेतु रखी गई है ।रसशाला के समीप ही गदरपुर में पड़ाव आयुर्वेदिक़ चिकित्सा केंद्र स्थापित हो चुका है जिसमे एक साथ सैकड़ो मरीजो के इंडोर भर्ती होने की सुविधा उपलब्ध है।मरीजों की भर्ती के लिए डीलक्स ,सेमीडिलक्स और सामान्य कमरे उपलब्ध किया गये है।वैद्यजी द्वारा स्थापित उक्त आयुर्वेदिक़ चिकित्सा केंद्र में पेंक्रियाटाइटिस के देश भर के मरीज भर्ती हैं ।आयुष दर्पण की टीम के 15 चिकित्सकों ने जिनमें आयुर्वेद के कालेजो के शिक्षक ,चिकित्सक एवं छात्र शामिल हैं उन्होंने इन मरीजों में हो रहे अद्भुत लाभ को स्वयं देखा।आयुष दर्पण टीम वैद्य बालेंदु प्रकाश जी द्वारा दो दिवसीय आवासीय आयोजित कर रसशास्त्र की विधा को एक सामान्य चिकित्सक के अंदर आत्मविश्वास जगाने का एक मौका दिए जाने हेतु आयुष दर्पण टीम के टीम लीडर वैद्य नवीन नवीन चन्द्र जोशीआभार व्यक्त किया गया और इस प्रकार के कार्यक्रम भविष्य में आयोजित करने का पुनः अनुरोध किया गया।इस प्रकार के कार्यक्रम आयुष दर्पण के बैनर तले भविष्य में आयोजित किये जाते रहेंगे ।