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सीने में दर्द को न करें नज़रअंदाज़: साइलेंट हार्ट अटैक भी हो सकता है खतरनाक!

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साइलेंट हार्ट अटैक आखिर होता क्या है?

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नवीन जोशी बताते हैं कि साइलेंट हार्ट अटैक में हृदय की मांसपेशियों तक रक्त का प्रवाह अचानक कम हो जाता है, लेकिन इसका दर्द हल्का या असामान्य होने के कारण लोग इसे सामान्य थकान, गैस, अपच या तनाव समझकर छोड़ देते हैं।
इस अनदेखी से हृदय को गंभीर क्षति हो सकती है, जो आगे चलकर बड़ा हार्ट अटैक या दिल की पंपिंग क्षमता में कमी का कारण बनती है।


कैसे पहचानें साइलेंट हार्ट अटैक के संकेत?

यह हार्ट अटैक चुपचाप आता है, लेकिन शरीर संकेत जरूर देता है:

  • हल्का या दबाव जैसा सीने में दर्द

  • असामान्य थकान या सुस्ती

  • पैरों या पीठ में दर्द

  • कंधों, जबड़े या गर्दन में खिंचाव

  • सांस फूलना या भारीपन

  • हल्की चक्कराहट

  • बार-बार गैस या अपच जैसा अहसास

  • बेमतलब बेचैनी या पसीना

डॉ. नवीन जोशी के अनुसार, “अगर ये लक्षण बार-बार दिखें, खासकर आराम करते समय या हल्के परिश्रम पर, तो यह साधारण समस्या नहीं है। समय रहते जाँच कराना ज़रूरी है।”


आयुर्वेद में हृदय रोगों का दृष्टिकोण

आयुर्वेद हृदय को शरीर का ‘प्राण केंद्र’ मानता है।
असमय भोजन, देर रात तक जागरण, अत्यधिक तनाव, नकारात्मक भावनाएँ, तैलीय भोजन और अल्प व्यायाम को हृदय के लिए प्रमुख हानिकारक कारक बताया गया है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में ‘हरिद्राक्षी’, ‘अरजुन’, ‘पुनर्नवा’, ‘गुग्गुल’ जैसे कई हृदय-बल्य औषधियों का उल्लेख मिलता है, जो हृदय को मजबूत बनाने में सहायक मानी गई हैं।
हालाँकि, डॉ. नवीन जोशी सलाह देते हैं कि किसी भी औषधि का सेवन केवल विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए।


लक्षण दिखें तो क्या करें?

  • तुरंत तनाव कम करें और गहरी साँसें लें।

  • आराम की स्थिति में बैठें पर लेटें नहीं।

  • लक्षण गंभीर हों तो तुरंत अस्पताल जाएँ।

  • नियमित रूप से ईसीजी, ईकोकार्डियोग्राफी और ब्लड टेस्ट कराएँ।

डॉ. नवीन जोशी कहते हैं, “समय पर की गई जाँच आपकी जान बचा सकती है। देर करना सबसे बड़ी भूल है।”


साइलेंट हार्ट अटैक से ऐसे बचें

1. जीवनशैली सुधारें

  • प्रतिदिन कम से कम 30–45 मिनट व्यायाम

  • सुबह की सैर

  • योग और प्राणायाम

  • समय पर भोजन और अच्छी नींद

2. खानपान में सुधार

  • कम तेल, मसाले और तले भोजन से परहेज़

  • ओमेगा-3 युक्त भोजन – अलसी, अखरोट

  • फल, हरी सब्जियाँ और साबुत अनाज

  • नमक का कम सेवन

3. मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें

  • तनाव, चिंता और क्रोध से बचें

  • ध्यान व मेडिटेशन करें

  • मोबाइल और स्क्रीन टाइम कम करें

4. बुरी आदतों से दूरी

  • धूम्रपान और तंबाकू छोड़ें

  • अत्यधिक शराब का सेवन न करें

डॉ. नवीन जोशी बताते हैं, “हृदय की बीमारी केवल शरीर की समस्या नहीं है, यह आपकी जीवनशैली का दर्पण है। बदलें आदतें, सुरक्षित रखें दिल।”


निष्कर्ष

सीने में दर्द चाहे हल्का ही क्यों न हो, उसे कभी भी नजरअंदाज़ न करें।
साइलेंट हार्ट अटैक बिना बताए भी आ सकता है और अपनी गंभीर छाप छोड़ जाता है।
समय पर जाँच, आयुर्वेदिक जीवनशैली और सही खानपान अपनाकर हम न केवल हृदय रोगों से बच सकते हैं, बल्कि एक लंबा, स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं।

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