जानें :कौन है जहर उतारने की दुर्लभ जड़ी
1 min readहिमालयी क्षेत्र में अनेक ऐसी वनौषधि है जिनको इंडेजर्ड श्रेणी में रखा गया है। ऐसी ही एक वनस्पति जिसे निर्विषी के नाम से जाना जाता है। लेटिन में डेल्फीनीयम डेनुडेटम के नाम से प्रचलित इस वनस्पति को जड्वार के नाम से जाना जाता है। ये एक ऐसी वनस्पति है जिसकी जड़ों का प्रयोग स्थानीय लोग किसी जहरीले जानवर के डंक मार लेने पर जड़ों का लेप बनाकर प्रभावित जगह पर लगाने में करते रहे हैं। हिमालयी क्षेत्र में 1500-2700 मीटर की उंचाई पर फूलों की श्रेणी में आनेवाली दुर्लभ वनस्पति को देखा जा सकता है। इसमें फूल प्रायः जून एवं अगस्त के महीने में आते हैं तथा इसकी पत्तियों के किनारे कटे होते हैं। यह एक ऐसी गुणी वनस्पति है जिसका नाम ही इसके गुणों को बताने के लिए काफी है यानी निर्विषा जिसके प्रयोग मात्र से विष अपना प्रभाव खो दे।
यह एक ऐसी वनस्पति है जिसपर कई शोध किये जा चुके हैं और इसका प्रभाव मोर्फीन (अफीम) की लत को छुड़ाने में भी कारगर पाया गया है। इसकी जड़ हल्की धूसर वर्ण की होती है जिसे आप विडियो लिंक में आसानी से देख सकते हैं। आयुर्वेद में भी इस औषधि को सर्प-बिच्छू आदि के विष को निर्विष करने के प्रभावों से युक्त माना गया है। इसे वत्सनाभ विष की चिकित्सा में भी कारगर औषधि माना गया है।इसके मूल में पाये जानेवाले रसायन उद्दीपित करने वाले गुणों से युक्त होते हैं। स्थानीय लोग इसकी जड़ों से बनाये गये लेप से पुराने घावों के ठीक हो जाने की बात करते रहे हैं।