दीर्घ एवं सुखायु जीने का अथर्व मन्त्र

अथर्ववेद की 19 वें खंड के 67 वें सूक्त में ऐसे ही एक मंत्र का वर्णन है जिसे जानना एवं समझना आयुर्वेद को जानने एवं समझने के लिए
आवश्यक है I
पहला सूक्त है :पश्येम शरदः शतम् !!१!!
इसका अर्थ है हम सौ शरदों को देखें अर्थात सौ वर्षों तक हमारी नेत्र इन्द्रिय स्वस्थ रहे I
दूसरा सूक्त है :जीवेम शरदः शतम् ।।२।।
इसका अर्थ है हम सौ शरद ऋतु तक जीयें यानि हम सौ वर्ष तक जीयें I
तीसरा सूक्त है :बुध्येम शरदः शतम् ।।३।।
इसका अर्थ है सौ वर्ष तक हमारी बुद्धि सक्षम बनी रहे अर्थात मानसिक तौर पर सौ वर्षों तक स्वस्थ रहे I
चौथा सूक्त है :रोहेम शरदः शतम् ।।४।।
इसका अर्थ है सौ वर्षों तक हमारी वृद्धि होती रहे अर्थात हम सौ वर्षों तक उन्नति को प्राप्त करते रहे I
पांचवा सूक्त है :पूषेम शरदः शतम् ।।५।।
इसका अर्थ है सौ वर्षों तक हम पुष्टि प्राप्त करते रहें, हमें अच्छा भोजन मिलता रहे I
छठा सूक्त है भवेम शरद : शतम् !!६ !!इसका अर्थ है हम सौ वर्षों तक बने रहे I यह दूसरे सूक्त की पुनरावृति है I
सातवाँ सूक्त है भूयेम शरद: शतम् !!७ !!इसका अर्थ है सौ वर्षों तक हम पवित्र बने रहें I
आठवां एवं अंतिम सूक्त है भूयसी शरदः शतात !!८!!
इसका अर्थ है सौ वर्षों के बाद भी ऐसे ही बने रहे I
अर्थात अथर्ववेद का यह मन्त्र ईश्वर से सुखायु एवं दीर्घायु की कामना करने का मन्त्र है I
हमारे देश की संस्कृति को फलते-फूलते देखकर
मुझे गर्व है
धन्यवाद
शुक्रिया