रोग रूपी शत्रुओं से शरीर को बचाने वाली है निर्गुन्डी

यूँ तो हमारे आस पास कई औषधि पौधे बिखरे पड़े हैं ..लेकिन शायद पहचान और जानकारी न होने के कारण हम उनके गुणों से अनजान होते हैं ..ऐसा ही एक औषधि पौधा है “निर्गुन्डी ” कहते हैं…जो शरीर क़ी रोगों से रक्षा करे वह निर्गुन्डी होती है” …इसे वात से सम्बंधित बीमारियों में रामबाण औषधि माना गया है छह से बारह फुट उंचा इसका पौधा,झाड़ीनुमा सूक्ष्म रोमों से ढका रहता है ,पत्तियों क़ी एक ख़ास पहचान किनारों से क़ी जा सकती है,इसके फल छोटे,गोल एवं सफ़ेद होते हैं Iयह कफवातशामक औषधि के रूप में जानी जाती है ,जिसे श्रेष्ठ वेदनास्थापन अर्थात दर्द को कम करने वाला माना गया हैI यह घाव को विसंक्रमित करनेवाला ,भरनेवाले गुणों से युक्त होता है Iआइये अब इसके औषधीय प्रयोग से हम आपको रु-ब-रु कराते हैं :-इसके पत्तों को कूटकर टिकिया बनाकर यदि पीड़ा वाले जगह पर बाँध दिया जाय तो इसका प्रभाव किसी एनाल्जेसिक से कम नहीं होता है ,इसकी पत्तियों का काढा बनाकर कुल्ला करने मात्र से गले का दर्द जाता रहता है ,यदि किसी को मुहं में छाले हो गए हों या गले में किसी प्रकार क़ी सूजन हो, तो हल्के से गुनगुने पानी में निर्गुन्डी तेल एवं थोड़ा सा नमक मिलाकर कुल्ला कराने से लाभ मिलता है Iयदि होंठ कटे हों तो भी केवल इसके तेल को लगाने से लाभ मिल जाता है Iकिसी भी प्रकार का कान दर्द हो या मवाद आ रहा हो तो निर्गुन्डी के पत्तों के स्वरस से सिद्धित तेल को शहद के साथ मिलाकर एक से दो बूँद क़ी मात्रा में कानों में ड़ाल दें ,निश्चित लाभ मिलेगा Iधीमी आंच पर सिद्ध किये हुए निर्गुन्डी के पत्तों को लगभग आधा लीटर पानी में पकाकर चौथाई शेष रहने पर 10-20 मिली क़ी मात्रा में दिन में दो से तीन बार खाली पेट देना सियाटिका जैसी स्थिति में भी प्रभावी होता है Iनिर्गुन्डी के चूर्ण को शुंठी के चूर्ण के साथ बराबर मात्रा में देना सेक्सुअल एक्टिविटी को बढ़ाने में मददगार होता है,निर्गुन्डी से सिद्धित घृत का प्रयोग पंचकर्म चिकित्सा में भी उपयोगी होता है Iमांसपेशियों क़ी सूजन में निर्गुन्डी क़ी छाल का चूर्ण पांच ग्राम क़ी मात्रा में या इसके पत्ते के क्वाथ को धीमी आंच पर पकाकर दस से बीस ग्राम क़ी मात्रा में देना भी लाभकारी होता है सर्दी ,जुखाम एवं एवं बुखार में भी इसके तेल क़ी मालिश रोगी को आराम देती है ,शरीर के किसी भी हिस्से में होनेवाली गाँठ जो प्रायः बंद हो तो केवल इसके पत्तों को बांधने से बंद गाँठ खुल जाती है और अन्दर स्थित मवाद बाहर आ जाता है Iनिर्गुन्डी को यदि शिलाजीत के साथ प्रयोग कराया जाय तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है,किसी भी प्रकार का सरदर्द हो या जोड़ों क़ी हो सूजन ,इसके पत्तों को गरम कर बाँध कर उपनाह देने से सूजन और दर्द में कमी आती है Iसंधिवात ,आमवात ,संधिशोथ या अन्य संधियों से सम्बंधित विकृतियों में निर्गुन्डी के पत्तों से सिद्धित तेल क़ी मालिश से भी लाभ मिलता है I