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वेरीकोज वेन्स :संक्षिप्त जानकारी!

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वेरीकोज वेन्स’ शब्द चिकित्साजगत के लिए एक सामान्य शब्द हो,लेकिन जनसामान्य के लिए एक दुखदायी स्थिति होती हैIआज हम इसी शब्द में छिपे एक दुखदायी स्थिति की चर्चा करेंगे जिससे क्या आम और क्या ख़ास सभी पीड़ित होते हैं I

क्या हैं वेरीकोज वेन्स? : 

वेन्स शब्द का नाम जेहन में आते ही हम ऐसी शिराओं की कल्पना करते हैं जो डी-आक्सीजेनेटेड रक्त को शरीर के विभिन्न भागों से ह्रदय की ओर लाती हैं,इन शिराओं में पाए जानेवाले वाल्वस के लीफ्लेट्स रक्त के विपरीत प्रवाह को रोकते हैं I  आप ज़रा इन वेन्स की कार्यप्रणाली पर गौर करें :जब हम सीधे खड़े होते हैं तब भी ये शिरायें पैर के निचले हिस्से से गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत डी-आक्सीजेनेटेड रक्त को ह्रदय तक पहुंचाती हैं ,अब ज़रा सोचिये इन शिराओं में पाए जानेवाले वाल्वस पर (गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ) विपरीत दिशा में रक्त के प्रवाह को रोकने का कितना दवाब होता होगा I जब ये वाल्वस स्वयं में आयी गड़बड़ी के कारण ठीक से अपना कार्य न कर पाती हों जिसे चिकित्सा विज्ञान की भाषा में वाल्व्युलर इन्कम्पीटेन्स कहते है तो रक्त का प्रवाह नीचे की ओर (गुरुत्वाकर्षण बल की दिशा में ) होने लग जाता है जिस कारण ये शिराएँ फूल जाती हैं I

यद्यपि शिराओं का वाल्व्युलर इन्कम्पीटेन्स (वाल्व की गड़बड़ी ) के कारण शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव पैर की शिराओं में देखने में आता है I

आप कैसे पहचानेंगे वेरीकोज वेन्स को ?

आप वेरीकोज वेन्स को निम्न लक्षणों से पहचान सकते है :-

*आपको अचानक त्वचा के नीचे बड़ी,मुडी हुई शिरायें दिखाई देने लग जायेंगी

*टखनों एवं एडियों में अचानक सूजन रक्त के विपरीत दिशा में इकट्ठा होने के कारण पैदा होनेवाले दवाब से उत्पन्न हो जायेगी

*पैरों में दर्द,ऐंठन और भारीपन सा महसूस होने लगेगा

*कई बार पैर के निचले हिस्से  में खुजलाहट उत्पन्न होने लगती है जिसे अक्सर ‘डरमेटाईटिस’ समझ लिया जाता है

*पैर में होनेवाला दर्द अक्सर हथोड़े की चोट सा एहसास दिलाता है

*अक्सर वेरीकोज वेन्स वाले हिस्से में त्वचा का रंग असामान्य हो जाता है

क्या इसके अलावा भी वेरीकोज वेन्स के उत्पन्न होने के कारण है ?

-जी हाँ इसके अलावा यह आनुवांशिक रूप से भी परिवारों में देखा जाता है I

-उम्र बढ़ने के साथ ही इसके होने की संभावना बढ़ जाती है

-वजन बढ़ना भी इसके उत्पन्न होने का एक बड़ा कारण है

-प्रेगनेंसी या लम्बे समय तक एक ही स्थिति में खड़े रहने से भी इसके उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है

-इसके अलावा मेनोपौज,एस्ट्रोजन या प्रोजेस्टरोन जैसे हारमोंस या बर्थ कंट्रोल पिल्स भी शिराओं के वाल्व को कमजोर करने में सहायक होते हैं

क्या वेरीकोज वेन्स के कुछ खतरनाक लक्षण भी होते है ?

जी हाँ,वेरीकोज वेन्स केवल पैरों में सूजन आदि लक्षण उत्पन्न नहीं करती बल्कि कई बार हल्की चोट से भी खून निकलने लग जाता है I किसी किसी में गहराई में स्थित शिराओं में अवरोध उत्पन्न हो जाता है जिसे ‘डीप-वेन-थ्रोम्बोसिस’ भी कहा जाता है I

आपके चिकित्सक वेरीकोज वेन्स को  बड़ी ही आसानी से आपके पैरों में आयी सूजन,पैरों की त्वचा के डिसकलरेशन आदि लक्षणों से इसकी पहचान कर लेते हैं I

नेशनल इंस्टीचयुट आफ हेल्थ के आंकड़ों पर गौर किया जाता है तो यह समझना आसान है कि 60 प्रतिशत पुरुष एवं महिलाएं अपने जीवन में कभी न कभी शिराओं से सम्बंधित इस समस्या से दो चार होते हैं I

वेरीकोज वेन्स की ही प्रारम्भिक स्थिति जब नाजुक पतली लाल या नीले रंग की शिरायें त्वचा के ऊपर उभर कर दिखने लगें ‘स्पायडर वेन्स ‘ कहलाती हैं महिलाओं में यह कोस्मेटिक समस्या के रूप में सामने आती हैं I

अब आप यह भी जानना चाहेंगे की इसकी उपलब्ध चिकित्सा क्या है ?

मेरा यह मानना है कि यदि मुडी हुई शिरायें आपको ख़ास परेशान नहीं कर रही हैं तो आप केवल कुछ विकल्प को अपनाएं जिसकी चर्चा हम अलग से करेंगे I लेकिन आपको वेरीकोज वेन्स के कारण पैरों में असहनीय दर्द ,सूजन जैसी स्थितियों से दो चार होना पड़ रहा है तो चिकित्सा आवश्यक है I

आधुनिक चिकित्सा में शिरा विशेषज्ञ आपको इंडोथर्मल-एबलेशन,स्केलेरोथेरेपी,कम्प्रेशन-स्टाकिंग,ट्रांसइलियुमीनेटेड-पावर्ड-फ्लेबेक्टोमी एवं सर्जरी जैसे विकल्प देते हैं लेकिन इन सभी पद्धतियों से शत प्रतिशत लाभ मिलने में संशय बना रहता है I

वेरीकोज वेन्स की चिकित्सा हेतु और क्या विकल्प उपलब्ध है ?

जैसा की मैंने पहले ही स्पष्ट किया की इस स्थिति में चिकित्सा का चुनाव पीड़ित की स्थिति पर निर्भर करता है और सामान्य स्थिति में जब तक कोई ख़ास परेशानी न हो चिकित्सा न लिए जाने से भी कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता है लेकिन जब असहनीय पीड़ा एवं सूजन जैसे लक्षणों के कारण जीना दूभर हो जाय तो चिकित्सा लेना नितांत आवश्यक हो जाता है I

वेरीकोज शिराओं की चिकित्सा में मुख्यतया दर्द एवं सूजन जैसे लक्षणों को कम करने पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है जिससे कम्पलीकेशन को कम किया जा सके ,इसके लिए जीवनशैली में परिवर्तन लाया जाना भी आवश्यक है Iकुछ लोग वेरीकोज वेन्स की चिकित्सा शिराओं के लुक में आये परिवर्तन को ठीक करने के लिए लेते हैं,चिकित्सा केवल वर्तमान में उपस्थित वेरीकोज वेन्स के लक्षणों को ही दूर करने में मददगार होती है परन्तु इससे आगे वेरीकोज वेन्स के उत्पन्न होने को नहीं रोका जा सकता है Iअतः मेरा यह मानना है की वेरीकोज वेन्स के चिकित्सा में पहला विकल्प जीवनशैली में परिवर्तन होना चाहिए Iजीवनशैली में लाये गए छोटे-छोटे परिवर्तन आपको दर्द,सूजन जैसी स्थितियों से राहत तो देंगे ही साथ ही आगे शिराओं को  वेरिकोज होने से भी रोकेंगे I

जीवनशैली में कौन से परिवर्तन लाया जाना लाभदायक होगा ?

जीवनशैली में लाये गए निम्न परिवर्तन आपको निश्चित रूप से लाभ देंगे :-

-लम्बे समय तक एक ही स्थिति में खड़े रहने या बैठने से परहेज करें

-जब बैठें तो पैरों को आपस में क्रास न करें

-जब भी बैठें,सोने की मुद्रा में हों अपने पैरों को ऊपर उठा कर रखें

-यदि आपका वजन बढ़ रहा हो तो इसे कम करने की कोशिश करें इससे शिराओं में रक्त का दवाब कम होगा

– कमर के नीचे के हिस्से में कसे हुए  कपडे पहनने से यथासंभव बचें इससे वेरीकोज वेन्स की स्थिति और भी अधिक चिंताजनक हो सकती है

– शरीर के निचले हिस्से को सक्रिय रखने हेतु नियमित व्यायाम करें जिससे आपकी पैरों की मांसपेशियां और अधिक टोन-अप हो जाएँ

-लम्बे समय तक ऊँची एडी वाले चप्पलों को न पहनें

आपके चिकित्सक आपको कम्प्रेशन-स्टाकिंग की  सलाह दे सकते हैं जिससे पैरों में हल्का दवाब बनता है जो खून के एक ही जगह इकट्ठा होने से (पूलिंग ) रोकता है या फिर इन वेरीकोज शिराओं को सर्जरी द्वारा हटाने या इन शिराओं को बंद करने की सलाह दे सकते हैं परन्तु यह अन्य कठिनाइयों को उत्पन्न कर सकता है I

क्या वेरीकोज वेन्स की आयुर्वेद में चिकित्सा उपलब्ध है ?

यह एक सामान्य सा प्रश्न है जो किसी के भी मन में आ सकता है !

आयुर्वेद में इसे व्यान-वायु की विकृति के कारण उत्पन्न होने वाली व्याधि माना गया है जिससे कालांतर में रंजक पित्त दोष भी प्रभावित होता हैI

इन दोनों की विकृति के मूल कारण अनियमित जीवनशैली और अनियमित आहार विहार है जिसके कारण ‘आम’ का निर्माण होता है,हम इन पहलूओं पर अधिक चर्चा न करते हुए आपको सीधे आयुर्वेदिक् चिकित्सक  अनुसार दीपन पाचन चिकित्सा के साथ आवश्यक औषधोपचार लेने के सलाह देते हैं I

बक गेहूं (Fagopyrum esculentum),ब्लेक बेरी एवं चेरी जैसे फल काफी लाभदायक होते हैंI

विटामिन- ए के प्रमुख स्रोत गाजर ,सल्जम आदि का प्रयोग वेरीकोज वेन्स के कारण बने अल्सर को भरने में मददगार होता है I

विटामिन-बी युक्त आहार जैसे मौसमी फल,दालें,छाछ/लस्सी रक्तवाही शिराओं के वाल्वस  को मजबूत बनाने में मददगार होता  है   I

विटामिन-सी एवं बायोफ्लेवनोइडस भी रक्त के प्रवाह को सुचारू बनाते है साथ ही शिराओं के फैलाव को रोकने में मददगार होते हैं     I

रूटीन एक ऐसा बायोफ्लेवनोइड है जिसका प्रयोग वेरीकोज वेन्स की चिकित्सा में किया जाता है यह विशेषकर सीट्रस फलों में पाया जाता है I

लेसिथिन नामक एमिनोएसिड भी फैट को इमल्सिफाई करता है जिससे रक्त का संचरण  का नियमित बना रहता है इसके अलावा लौकी में  पाया जानेवाला जिंक भी हीलिंग एवं कोलेजेन के निर्माण में सहायक होता है I

-पानी पर्याप्त मात्रा में कम से कम एक दिन में आठ ग्लास अवश्य ही पीना चाहिए I

अतःवेरीकोज वेन्स से पीड़ित रोगियों के लिए लाक्षणिक चिकित्सा के अलावा जीवनशैली में सुधार,नियमित योग आसनों का अभ्यास ही एक मात्र विकल्प है I

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