जानें ग्रेट मुलेन के औषधीय गुण
1 min readपर्वतीय क्षेत्रों में आजकल सडकों के किनारे यूँ ही लग आये कुछ झाडीनुमा वनस्पति आपने अवश्य ही देखा होगा । आपने इसे बिना किसी काम की वनस्पति समझकर इसकी ओर अपनी निगाहें फेरना मुनासिब नहीं समझा होगा,लेकिन दो मीटर की उंचाई लिए हुए हलके रोमों सी ढकी इस वनस्पति को लेटिन में “वरबेसकम थेप्सस “ के नाम से जाना जाता हैI ओर्नामेन्टल श्रेणी में आनेवाली यह वनस्पति “ग्रेट-मुलेन”,इंडीयन-टोबेको या भिखारियों का कम्बल के नाम से जानी जाती है I इसे सदियों से घरेलू औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है, इसमें पाया जानेवाला कौमेरिन एवं हेस्पेरिडीन नामक रसायन घावों को भरने वाले गुणों से युक्त होता है I विभिन्न शोधों में इसे दर्द निवारक, सूजनरोधी,एंटी-आक्सीडेंट,जीवाणुरोधी ,विषाणुरोधी ,फंगसरोधी प्रभावों से युक्त पाया गया है I इसकी जडों एवं पतियों में भी एंटी-सेप्टिक,मूत्रल,कफनिःसारक एवं नर्वाइन टोनिक गुणों से युक्त पाया गया है Iइससे निकलने वाला ‘मुलेन-आयल’ भी बड़े ही औषधीय गुणों से युक्त होता है, इसे जैतून के तेल के साथ मिलाकर दो बूँद कान में टपका देने से कान में होनेवाले दर्द में काफी लाभ मिलता है I इस मुलेन -तेल को पाईल्स के रोगियों में बाहर से लगाने मात्र से दर्द एवं सूजन में लाभ मिलता हैI इसके प्रयोग से मसूडों की सूजन एवं मुंह में होनेवाले घावों में काफी लाभ मिलता है I इसकी जड़ों को यवकूट कर काढा बनाकर कुल्ला करने से दांत दर्द से आराम मिलता है I इसकी पत्तियों के धुंए से खांसी में लाभ मिलता है अर्थात धूम्रपान के लतियों के लिए इसका सेवन औषधि के रूप में कराया जा सकता हैI इस पौधे में हलके नशीले एवं नारकोटिक गुण पाए जाते हैं खासकर बीजों को जहरीले प्रभाव से युक्त पाया गया है इन्ही कारणों से इसे इंडीयन-टोबेको के नाम से भी जाना जाता है Iइसकी जड़ों के पाउडर को एक चम्मच की मात्रा में एक कप पानी में लेकर पांच से दस मिनट तक उबालकर थोड़ा दूध डालकर आवश्यक मात्रा में चीनी के साथ मिलाकर बनायी गयी चाय पी जा सकती है I “ग्रेट-मुलेन” को सदियों से घरेलू औषधि के रूप प्रयोग में लाया जाता रहा हैI इसकी ताज़ी पत्तियों से होमयोपेथिक दवा भी बनायी जाती है ,जिसका प्रयोग कान दर्द,सिर दर्द,रात को होनेवाली सूखी खांसी आदि की चिकित्सा में किया जाता है I आयुर्वेद के चिकित्सक भी इसके फूलों को मुलेठी आदि अन्य औषधियों के साथ मिलाकर ‘मुलेन-रसायन’ का निर्माण करते है जिसके श्वसन संस्थान पर विशेष फायदे देखे जाते हैं I