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जहरीली है मगर बड़े काम की है ये वनस्पति

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यूँ तो आपने हिमालयी क्षेत्र में कई दुर्लभ  वनस्पतियों के बारे में जाना होगा,पर आपने शायद ही  एक जहरीली वनस्पति को शायद ही जाना होगा जो सिक्किम से लेकर उत्तर पश्चिम हिमालय तक पायी जाती है  I आईये आज हम आपको उसी जहरीली लेकिन बड़ी ही उपयोगी वनस्पति से परिचित कराते हैं Iइस वनस्पति का

हिंदी नाम:मीठा विष 

संस्कृत नाम :वत्सनाभ
अंग्रेजी नाम :एकोनिट
लेटिन नाम: एकोनिटम फेरोक्स है 

इसे मोंक हुड के नाम से भी जाना जाता है I

10000 से 15000 फुट की ऊंचाई पर इसके पौधे पाये जाते हैIइसके फूलों को सूंघने से ही व्यक्ति मूर्छित हो जाता है
सबसे अधिक विष इसकी जड़ में होता है जो बछड़े की नाभी के जैसी होती है दो तरह के वत्सनाभ मिलते है एक काला और दूसरा सफ़ेदI
वास्तव में वत्सनाभ का प्राकृतिक रंग पीला धूसर होता है इसके नजदीक दूसरे पेड़ नही लगते हैं I
यह एक झाड़ीनुमा पौधा होता है जिसमे एकोनाइट एवं स्यूडोएकोनाइटिन नामक जहरीला तत्व पाया जाता हैI
अगर कोई व्यक्ति अशुद्ध वत्सनाभ खा ले तो उसका फ़ौरन इलाज आवश्यक हैI
विधि पूर्वक शुद्ध किया वत्सनाभ आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्रयोग में आता है।-खांसी और बुखार में वत्सनाभ को पीसकर गले के बाहर लेप करने से आराम मिलता है।
70 ग्राम अखरोट में 10 ग्राम शुद्ध किया वत्सनाभ मिलाकर उसमे से 1 ग्राम की मात्रा में 3 दिनों तक रोगी को देने से मधुमेह एवं पक्षाघात में लाभ मिलता है।
-वत्सनाभ का तेल सभी प्रकार के दर्द में लाभकारी है।
-यह गठिया और सूजन को कम करने में विशेष उपयोगी होता है।-नाडी दुर्बलता में एक ग्राम वत्सनाभ का चौथाई हिस्सा सेवन करने से नाडी की गति सामान्य हो जाती है I-काली हरड 20 ग्राम ,चित्रक  20 ग्राम ,पीपल 10 ग्राम और शुद्ध  वत्सनाभ  5 ग्राम पीसकर गाय के घी में मिलाकर मिश्रण बनाकर इसको शहद से २ से ३ ग्राम की मात्रा में देने पर दमा  एवं श्वित्र जैसे रोगों में लाभ मिलता है I
-बिच्छु के काटे हुए जगह पर इसे पीसकर लेप कर देने से भी लाभ मिलता है।

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