आयुर्वेद ने दिखाई नई राह – डायबिटीज़ से जूझती छात्रा को मिला नया जीवन
 
        देहरादून, 16 सितम्बर 2025 | आयुष दर्पण न्यूज़ डेस्क
20 वर्षीय मेडिकल छात्रा (नाम परिवर्तित – मोनिका), जो लंबे समय से इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज़ (HbA1c – 11.9) और गंभीर धातु क्षय (शरीर का क्षीण होना) से पीड़ित थीं, को सरकारी आयुर्वेद चिकित्सालय, माजरा, देहरादून में हुए आयुर्वेदिक उपचार से नया जीवन मिला।
🩺 मरीज की पृष्ठभूमि
मोनिका चीन में MBBS की छात्रा थीं, लेकिन बिगड़ती हालत के कारण उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत लौटना पड़ा।
उनके लक्षणों में –
- 
पूरे शरीर में दर्द व कमजोरी 
- 
पैरों में सुन्नपन 
- 
नाखूनों की विकृति 
- 
भूख का अभाव 
- 
अत्यधिक क्षीण काया 
 शामिल थे।
🌿 उपचार प्रक्रिया
वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य वैद्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी (MD Ayurveda) के निर्देशन में लगभग 6–7 माह तक निम्न आयुर्वेदिक उपचार दिए गए –
🔹 वस्ती कर्म
- 
क्षीरबला अनुवासन वस्ती 
- 
दशमूल निरुह वस्ती 
- 
मांस रस वस्ती (बकरी के मांस का शोरबा) 
- 
बृहद पंचमूल वस्ती (घृत, तेल, मज्जा, वसा सहित) 
- 
शतावरी–दशमूल युक्त वस्ती 
🔹 मर्म थेरेपी
प्रतिदिन सुबह–शाम 17–18 मर्म बिंदुओं पर चिकित्सा।
🔹 सहायक औषधियाँ
- 
अभ्रक लौह 
- 
चंद्रप्रभा वटी 
- 
वसंत कुसुमाकर रस 
🌟 उपचार के परिणाम
✅ दर्द और कमजोरी समाप्त
✅ भूख व वजन में सुधार
✅ त्वचा और नाखूनों का स्वास्थ्य बेहतर
✅ HbA1c 11.9 से घटकर 8 तक पहुँचा
✅ छात्रा पुनः चीन जाकर अपनी मेडिकल पढ़ाई जारी रख सकीं 🎓
📝 निष्कर्ष
यह केस दर्शाता है कि यदि वस्ती कर्म और मर्म थेरेपी को विधिवत ढंग से अपनाया जाए तो डायबिटीज़ जैसी जटिल और क्रॉनिक बीमारियों में भी आशातीत सुधार संभव है।
📑 इस केस स्टडी को प्रकाशन हेतु अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में भेजा गया है।

 
                        







 
                 
                 
                