आयुष दर्पण

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❗ “हर्बल दवाओं की सुरक्षा पर आया बड़ा अलर्ट — केंद्र करेगा माइक्रोबियल संदूषण की व्यापक समीक्षा”

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आयुर्वेदिक व अन्य AYUSH उत्पादों में उपयोग होने वाली हर्बल सामग्री की माइक्रोबियल संदूषण जांच के लिए राष्ट्रीय अध्ययन शुरू किया है। अगस्त 2025 के एक अध्ययन में 63.6% नमूनों में बैक्टीरिया स्तर मानक से अधिक पाए गए थे। सरकार अब 10 प्रमुख जड़ी-बूटियों के नमूनों की लैब टेस्टिंग और सप्लाई चेन ऑडिट करेगी।
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  •  केंद्र सरकार करेगी आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं में माइक्रोबियल संदूषण की राष्ट्रीय जांच

नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में एक राष्ट्रीय स्तर का अध्ययन शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत योग-आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी (AYUSH) उत्पादों में उपयोग होने वाली हर्बल सामग्री (Herbal Ingredients) का व्यापक माइक्रोबियल परीक्षण किया जाएगा।


🧪 क्यों शुरू किया गया यह अध्ययन

  • अगस्त 2025 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि 110 ठोस (Solid) हर्बल फार्मूलेशन में से 63.6% नमूनों में बैक्टीरिया का स्तर स्वीकार्य मानकों से अधिक था।
  • कई नमूनों में खतरनाक सूक्ष्मजीव पाए गए, जिनमें शामिल हैं:
    Staphylococcus aureus, Pseudomonas aeruginosa, Escherichia coli (E. coli) तथा विभिन्न प्रकार के यीस्ट और मोल्ड
  • ये सूक्ष्मजीव खाद्य विषाक्तता, त्वचा संक्रमण, पाचन व श्वसन संबंधी बीमारियाँ उत्पन्न कर सकते हैं।

🔍 अध्ययन में क्या-क्या शामिल होगा

  • सरकार कम से कम 10 प्रमुख जड़ी-बूटियों के नमूनों की जांच करेगी।
  • परीक्षण NABL-मान्यता प्राप्त या AYUSH-स्वीकृत प्रयोगशालाओं में किया जाएगा।
  • मुख्य फोकस 4 खतरनाक बैक्टीरिया पर रहेगा:
    E. coli, Salmonella, Pseudomonas aeruginosa, Staphylococcus aureus
  • इसके साथ ही हर्बल सामग्री की सप्लाई चेन, निर्माण, पैकिंग और भंडारण प्रक्रियाओं का भी ऑडिट किया जाएगा, ताकि संदूषण के स्रोतों की पहचान की जा सके और नए मानक तय किए जा सकें।

⚠️ क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम

  • भारत में हर्बल और AYUSH उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, और इसके साथ गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control) और पारदर्शिता (Transparency) की आवश्यकता और भी बढ़ गई है।
  • असुरक्षित या दूषित हर्बल उत्पाद बुजुर्गों, बच्चों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए गंभीर जोखिम बन सकते हैं।
  • यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

आगे क्या होने वाला है — और जनता को क्या सावधानी रखनी चाहिए

  • अध्ययन के बाद यदि माइक्रोबियल लिमिट्स निर्धारित किए जाते हैं, तो हर्बल दवाओं का निर्माण, पैकिंग और स्टोरेज नई सुरक्षा-मानकों के अनुसार अनिवार्य होगा।
  • उपभोक्ताओं के लिए यह समझना जरूरी है कि “हर्बल = हमेशा सुरक्षित” यह धारणा सही नहीं है।
  • किसी भी हर्बल दवा का उपयोग करते समय:
    • मान्य/लाइसेंस प्राप्त स्रोत से दवाई लें
    • पैकेजिंग, लेबलिंग और मैन्युफैक्चरिंग विवरण अवश्य जांचें
    • चमत्कारी इलाज” या “गुप्त नुस्खे” जैसे दावों से बचें

 

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