आयुर्वेदिक भस्मों के नेनो पार्टीकल द्वारा होगा डायबीटीज का इलाज

आयुर्वेद की दवाओं में मौजूद नेनो-पार्टिकल्स मधुमेह रोगीयों में रक्त्गत शर्करा को कम करने एवं इन्सुलिन के स्तर को बढाने में मददगार होते हैं I निदेशक एआरआई किशोर पक्निकर के द्वारा हाल ही में एविडेंसड बेस्ड काम्प्लीमेंट्री एंड अल्टरनेटिव मेडिसीन में प्रकाशित लेख में यह दावा किया गया है Iआयुर्वेदिक रस-शास्त्र में प्रयोग की जानेवाली भस्में संस्कार की विशेष प्रक्रियाओं से गुजरती हैं जो विभिन्न रोगों में बड़ी ही कामयाबी के साथ अपना प्रभाव दर्शाती हैं Iइस शोध में यशद-भस्म जिसे जिंक-आक्साईड के नाम से जाना जाता है का प्रयोग मधुमेह से पीड़ित रोगियों में किया गया और इसके प्रभाव रक्त शर्करा को कम करने वाले एवं इन्सुलिन के स्तर को बढाने वाले पाए गए हैं I इस शोध की प्रमाणिकता की पुष्टि करने के लिए आधुनिक स्केनिंग एलेक्टरोन माईक्रोस्कोपी एवं एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक का प्रयोग किया गया जिसमें यह पाया गया कि यशद भस्म में 200-500 नेनोमीटर के साईज के जिंक आक्साईड के नेनो-पार्टिकल्स पाए जाते हैं जिनके एंटी-डायबीटीक इफेक्ट होते हैं Iचूँकि आज भी डायबीटीज पीड़ित रोगियों को सस्ते एवं एकल उपचार की आवश्यकता है तो ऐसी स्थिति में यशद भस्म एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है I