ऋषियों की अमर वाणी: स्वस्थ जीवन के 22 सूत्र
ऋषियों की अमर वाणी में छिपा स्वस्थ जीवन का रहस्य
आधुनिक जीवनशैली में जहाँ रोग, तनाव और असंतुलन बढ़ते जा रहे हैं, वहीं भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों की वाणी आज भी जीवन को संयमित व संतुलित रखने का मार्ग दिखाती है। आयुष दर्पण न्यूज़ की इस विशेष रिपोर्ट में प्रस्तुत हैं उन 22 सूत्रों का सार जो तन, मन और आयु के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
प्रमुख सूत्रों में शामिल हैं— बिना भूख के भोजन को विष के समान मानना, नींद को अर्धरोग नाशक समझना, मूंगदाल को सर्वोत्तम खाद्य घोषित करना, लहसुन को हड्डियाँ जोड़ने वाला मानना, तथा संयम, चबाकर भोजन, चिंता मुक्त जीवन और छह रसों से युक्त संतुलित आहार की महत्ता को रेखांकित करना।
ऋषियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई वैद्य दीर्घायु का प्रभारी नहीं हो सकता और चिंता न केवल रोगों को बढ़ाती है, बल्कि उम्र को भी कम करती है।

ऋषियों की अमर वाणी: स्वस्थ जीवन के 22 सूत्र
भारत के प्राचीन ऋषियों द्वारा दिया गया यह स्वास्थ्य-संहिता सूत्र आज के युग में भी उतना ही प्रासंगिक और प्रभावशाली है। प्रस्तुत हैं ऐसे 22 सूत्र जो तन, मन और जीवन को संतुलित रखने का मार्ग प्रशस्त करते हैं:
- अजीर्णे भोजनं विषम् — बिना भूख के भोजन ज़हर समान है।
- अर्धरोगहरी निद्रा — अच्छी नींद आधे रोगों को दूर करती है।
- मुद्गदाली गदव्याली — मूंगदाल सर्वश्रेष्ठ है।
- भग्नास्थि-संधानकरो लशुनः — लहसुन हड्डियाँ जोड़ने में सहायक।
- अति सर्वत्र वर्जयेत् — अति किसी भी चीज़ की हानिकारक है।
- नास्ति मूलमनौषधम् — हर वनस्पति औषधि है।
- न वैद्यः प्रभुरायुषः — वैद्य दीर्घायु नहीं दे सकता।
- चिंता व्याधि प्रकाशाय — चिंता से रोग बढ़ते हैं।
- व्यायामश्च शनैः शनैः — व्यायाम धीरे-धीरे करें।
- अजवत् चर्वणं कुर्यात् — भोजन बकरी की तरह चबाकर खाएं।
- स्नानं मनःप्रसादनकरं — स्नान से मन प्रसन्न होता है।
- न स्नानमाचरेद् भुक्त्वा — भोजन के तुरंत बाद स्नान न करें।
- नास्ति मेघसमं तोयम् — वर्षा जल सर्वोत्तम है।
- अजीर्णे भेषजं वारि — अपच में जल दवा है।
- सर्वत्र नूतनं शस्तं, सेवकान्ने पुरातने — वस्तुएँ नई, चावल-सेवक पुराने अच्छे।
- नित्यं सर्वा रसा भक्ष्याः — भोजन में सभी छह रस हों।
- जठरं पूरयेदर्धम्… — आधा पेट भोजन, एक चौथाई पानी, शेष रिक्त।
- भुक्त्वा शतपथं गच्छेत् — भोजन के बाद 100 कदम चलें।
- क्षुत्साधुतां जनयति — भूख से ही स्वाद आता है।
- चिंता जरा नाम मनुष्याणाम् — चिंता से उम्र घटती है।
- शतं विहाय भोक्तव्यं… — भोजन समय 100 काम छोड़ें, स्नान समय 1000 काम छोडें।
- सर्वधर्मेषु मध्यमाम् — हर कार्य में मध्यम मार्ग चुनें।
निष्कर्ष
यह ऋषि-सिद्धांत न केवल आयुर्वेदिक जीवन शैली का सार है, बल्कि आज के युग की अनेक समस्याओं का समाधान भी है। “आयुष दर्पण न्यूज़” आपसे आग्रह करता है कि इन अमूल्य सिद्धांतों को अपनाकर स्वस्थ और संतुलित जीवन जीएं।
लेख प्रस्तुति:
आयुष दर्पण न्यूज़ टीम