आयुष दर्पण

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गर्मी से बचने के आयुर्वेदिक मन्त्र

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गर्मी अपने चरम पर है पारा बढ़ता ही जा रहा है।ऐसे में क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी इस जलती हुई दोपहरी और उमस से परेशान हैं। 
आईये इस गर्मी में हम स्वयं को स्वस्थ रखने की कुछ छोटी- छोटी बातों पर गौर करें :

आप  तरल पदार्थों के सेवन की मात्रा को खासकर पानी को फ़ौरन बढ़ा दें।
तले हुए एवं मसालेदार भोजन से तौबा करें।
शरीर को ठंडक पहुँचानेवाले भोज्य पदार्थों एवं फलों जैसे :खीरा,ककड़ी,तरबूज आदि लाभकारी होते हैं
आईये गर्मी में फायदा पहुँचानेवाले दस औषधीय वनस्पतियों को जानें।
पुदीना:पुदीने की चटनी नींबू एवं प्याज के साथ गर्मीयों में अत्यंत गुणकारी होती है।यह भूख बढ़ाती है साथ ही अपच,उल्टी आने की इच्छा आदि जैसे लक्षणों को उत्पन्न होने से रोकती है।
कैसे करें प्रयोग?:आप पुदीने को सामान्य रूप से सलाद के रूप में चबा सकते हैं या फिर इसकी चटनी बना सकते हैं।इसे काढे या ग्रीन-टी के रूप में भी लिया जा सकता है।
गुलाब:गर्मीयों में गुलाब बड़ा ही उपयोगी होता है यह केवल कूलिंग इफेक्ट ही नहीं देता है बल्कि तपिश से बचने का एक खुशबुदार विकल्प है।गर्मीयों में होनेवाली सामान्य समस्या जैसे: अपच,त्वचा एवं आँखों में जलन में गुलाब का शरबत या जेम बड़ा ही गुणकारी होता है।
कैसे करें प्रयोग?
आप गुलाब के शरबत को घर पर ही तैयार कर सकते हैं।यह आपको तपिश के दुष्प्रभाव से बचाता है।इसके अलावा ‘गुलकंद’ जो गुलाब की पंखुड़ियों एवं शक्कर का एक मिश्रण है इसे दो चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार लेने से भी गर्मी के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।गुलाब की पंखुड़ियों को साफ़ पानी में रात भर भिंगो दें और इसी पानी से प्रातः मुहं धोएं ,यह गर्मी के कारण उत्पन्न चेहरे में उत्पन्न जलन एवं फोड़े फुंसियों को दूर करने में मदद करता है।
आंवला:गर्मी के दौरान मिलनेवाला यह एक ऐसा फल है फल है जो तपिश से बचाव की रीढ़ है।यह शीतल प्रकृति का एवं स्वाद में मधुर रस का बोध कराता है।यह गर्मी के कारण उत्पन्न अत्यधिक प्यास सहित आँखों एवं तलवों की जलन जैसे लक्षणों को दूर करता है।
कैसे करें प्रयोग?
ग्रीष्म ऋतु में बाह्य तापक्रम की अधिक वृद्धि के कारण मानसिक एवं शारीरिक थकान को दूर करने हेतु ‘आंवले का मुरब्बा’ एक बेहतरीन विकल्प है।
आंवले के चूर्ण को दूध के साथ पेस्ट के रूप में लगाने से हीट-स्ट्रोक के कारण उत्पन्न सिरदर्द एवं जलन जैसे लक्षणों में बड़ा आराम मिलता है।
चन्दन: यह ग्रीष्म ऋतु में तपिश से बचने हेतु प्रकृति प्रदत्त अनुपम उपहार है।इसे आप बाह्य या आभ्यांतर प्रयोग में निसंकोच ला सकते हैं।यह शरीर में प्रकुपित ऊष्मा के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।इसे लिक्विड या एसेन्स के रूप में बाजार से प्राप्त किया जा सकता है।
कैसे करें प्रयोग?
चन्दन का पेस्ट बनाकर मस्तक पर लगाएं यह आपको सरदर्द से फ़ौरन आराम दिलाएगा।इस ऋतु में आप चन्दन के शरबत का भी प्रयोग तपिश से बचने हेतु कर सकते हैं।
मेहंदी:ग्रीष्म ऋतु में हीना या मेहंदी भी बड़ी गुणकारी औषधीय वनस्पति है।
कैसे करें प्रयोग?
मेहंदी की ताज़ी पत्तियों से बनाये गए पेस्ट को गर्मी के कारण उत्पन्न जलन वाले स्थान में लगाएं साथ ही आप इसका प्रयोग तलवों एवं हथेलियों पर भी कर सकते है।आपको निश्चित ही आराम की अनुभूति होगी।
नारियल:मिठास युक्त नारियल का फल ग्रीष्म ऋतु के कारण उत्पन्न विकृत लक्षणों जैसे:अत्यधिक प्यास,हायपरसीडीटी,सीने में जलन,पेट दर्द जैसे लक्षणों में फौरी तौर पर राहत देता है।
कैसे करें प्रयोग?
नारियल पानी तपिश के साइड इफेक्ट से बचाव का एक बेहतरीन विकल्प है।इसके गुण गर्मी के कारण उत्पन्न होनेवाली किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्या का मुकाबला करने में सक्षम है।
एस्पेरेगस:यह ग्रीष्म ऋतु में शरीर को कूल एवं शांत रखने वाले गुणों से युक्त एक बेहतरीन औषधीय वनस्पति है।यह केवल शरीर ही नहीं अपितु मस्तिष्क को भी कूल- कूल रखती है।
कैसे करें प्रयोग?
गर्मीयों में इसकी जड़ से बनाया काढ़ा एक चम्मच की मात्रा में लेने से पेट में जलन,सीने में जलन जैसे 
लक्षणों में फ़ौरन आराम मिलता है।
अंगूर:अंगूर भी पित्त शामक गुणों से युक्त होता है।
अंगूर के फल वृष्य एवं रसायन गुणों से युक्त होते हैं।यह ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक पसीना आना,तलवों एवं हथेलियों की जलन,अत्यधिक प्यास जैसे लक्षणों से निजात दिलाता है।
कैसे करें प्रयोग?
अंगूर के फलों से बनाया मीठा शरबत गर्मीयों एनर्जी लेवल को बढ़ा देता है।
प्याज: लू से बचाव के लिए प्याज से बेहतरीन कोई अन्य विकल्प नही है। गर्मीयों में प्याज का नियमित सेवन भोजन के पाचन में मददगार होता है साथ ही कब्ज,पाईल्स जैसी सामान्य समस्याओं को दूर करता है।
खाली पेट लिया गया प्याज का रस लिवर के लिए लाभकारी होता है,यह गर्मी की सामान्य समस्या नकसीर चलना में भी फ़ौरन राहत पहुंचाता है।
कैसे करें प्रयोग?
प्याज को आप सलाद के रूप में या फिर सब्जियों के रूप में नियमित तौर पर खासकर ग्रीष्म ऋतु में लें।यह एनर्जी बूस्टर एवं वाएटीलिटी को बढ़ाने वाला अत्यंत गुणकारी द्रव्य है।
प्याज के रस को 10-30 मिली की मात्रा में औषधीय प्रयोगार्थ लिया जा सकता है।
इलायची:ग्रीष्म ऋतु में शीतल प्रभाव उत्पन्न करने वाले गुणों से युक्त पदार्थों में इसे शामिल किया जाता है।यह शरीर के किसी भी हिस्से में उत्पन्न जलन को  दूर करता है।
कैसे करें प्रयोग?
इलायची के चूर्ण को लगभग आधे से एक ग्राम की मात्रा में पानी या दूध के साथ दिन में दो बार लिया जा सकता है।
उपरोक्त जानकारियां जनसामान्य के लिए इस समय चल रही भयंकर गर्मी से बचाव के कुछ सामान्य घरेलु उपायों के रूप में प्रकाशित की गयी है।

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