आयुर्वेद पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने कोलकाता में किया उद्घाटन

आयुष दर्पण फाउंडेशन एवं अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद के संयुक्त तत्वधान में कोलकाता स्थित भारतीय भाषा परिषद के आडीटोरियम में आयुर्वेद विषय पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का उद्घाटन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने किया।इस अवसर पर बोलते हुये श्री त्रिपाठी ने आयुर्वेद को विश्व की सबसे सटीक चिकित्सा पद्धति बताया।पेशे से वकील रहे राज्यपाल ने आयुर्वेद से संबंधी अपने कई अनुभवों को शेयर किया तथा अपने वकालत के दौरान आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से संबंधित कई मामलों के निस्तारण के बारे में पक्षकार वकील के रूप में कार्य करने के संस्मरण सुनाये।राज्यपाल श्री त्रिपाठी ने आयुर्वेद पर शोध को बढ़ाये जाने की दिशा में जोर दिये जाने पर बल दिये जाने की बात की एवं कई कटु संस्मरणों का भी जिक्र किया।उन्होंने अपने विधानसभा अध्यक्ष के रूप में लखनऊ प्रवास के दौरान टूडीयागंज स्थित राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय के भ्रमण का एक संस्मरण सुनाया,जिसमे अस्पताल में भ्रमण के दौरान भर्ती मरीजों की संख्या अत्यधिक कम होने की बात की,उन्होंने ऐसा होने के पीछे आयुर्वेदज्ञों को मंथन करने को कहा।उन्होंने नाड़ी विज्ञान का जिक्र करते हुये इस विज्ञान के चमत्कारिक अनुभवों को भी लोगो से शेयर किया।तक़रीबन डेढ़ घंटे के अपने व्याख्यान में श्री त्रिपाठी ने आयुर्वेद को भविष्य की चिकित्सा पद्धति बताया।इस अवसर पर भारत सरकार की ओर से उप सलाहकार आयुर्वेद डॉ एस.रघु ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के और अधिक लाभ आमजनता तक पहुंचाने की दिशा में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा की जा रही योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।एनबीआरआई-सीएसआईआर के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए. के.एस रावत ने आयुर्वेद के और अधिक फार्म्युलेशन को जनता के समक्ष रिसर्च द्वारा पहुंचाये जाने पर जोर दिया।तिब्बती चिकित्सा पद्धति की जानकार चिकित्सक डॉ जामयाग डोलमा ने आयुष विधा के अंतर्गत आनेवाली तिब्बती चिकित्सा पद्धति सोया-रिगपा के बारे में जानकारी दी तथा चीन एवं तिब्बत में इसके व्यापक प्रयोग के अनुभव साझा किये।मॉरीशस से आये ह्यूमन सर्विस ट्रस्ट एवं महात्मा गांधी आयुर्वेदिक अस्पताल के संस्थापक श्री प्रेम चन्द्र बुझावन ने मॉरीशस में आयुर्वेद के स्थापित होने पर अपने अनुभव साझा किये।इस अवसर पर आधुनिक चिकित्सा पद्धति की चिकित्सक एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद की सदस्या डॉ रजनी सरीन ने आयुर्वद एवं योग को स्वयं द्वारा अपनाकर जीवन को रोगमुक्त और दवामुक्त करने पर व्याख्यान दिया।उद्घाटन सत्र का आकर्षण प्रख्यात मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ प्रोफेसर सुनील जोशी का मर्म चिकित्सा पर दिया प्रस्तुतीकरण रहा जिसने राज्यपाल सहित दर्शक दीर्घा में उपस्थित लोगों को भी इस चिकित्सा पद्धति की ऒर ध्यानाकृष्ट किया।प्रोफेसर सुनील जोशी ने मर्म विन्दुओं के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और गुप्त रूप से प्रयोग की जाती रही इस विधा को एक मिशन के रूप में लोगो तक पहुंचाने का लक्ष्य सभी के सामने रखा।उन्होंने इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को मर्म चिकित्सा की पुस्तकें भेंट की।इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के पश्चिम बंगाल शाखा के सचिव श्री कुंजबिहारी सिंघानिया ने सभी अतिथियों एवं भारत के पश्चिमोत्तर राज्य सहित विदेशों से आये प्रतिनिधियों का स्वागत स्मृति चिन्ह,रुद्राक्ष की माला एवं शाल ओढ़ा कर किया। कांफ्रेंस के सफल आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण आयुष दर्पण फाउंडेशन एवं वेबपोर्टल के संस्थापक डॉ नवीन जोशी को राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी द्वारा एवार्ड आफ एक्सीलेंस प्रदान किया गया।अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद एवं आयुष दर्पण फाउंडेशन द्वारा प्रख्यात मर्म चिकित्साविद प्रोफेसर सुनील जोशी को शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।उद्घाटन सत्र में कोलकाता चेम्बर आफ कॉमर्स,नेपाल के काउंसलेट जरनल के कार्यालय प्रतिनिधि एवं पूर्व डिप्लोमेट एवं एडीएफ फाउंडेशन के पंडित मनीष उप्रेती भी मौजूद रहे।कांफ्रेंस का अगला चरण मर्म चिकित्सा शिविर एवं वर्कशाप के रूप में आयोजित होगा।