आयुष दर्पण

स्वास्थ्य पत्रिका ayushdarpan.com

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

बीमार होने पर तुरंत ठीक होने के लिए हम जिन एंटीबायोटिक दवाओं के भरोसे रहते हैं, अगर उन दवाओं का असर ही न हो तो समझ लिजिये कि हालात चिंताजनक हैं, क्योंकि बीमारी लंबी हो जाती है।
दरअसल, एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग से शरीर में जीवाणु आसानी से इनका प्रतिरोध करने लगते हैं और बीमारी खत्म करने को लेकर इन दवाओं का असर खत्म हो जाता है। एक समय के बाद यह बेअसर दवा बीमार व्यक्ति को ठीक करने में नाकाम होने लगती है। चिकित्सकों के मुताबिक एंटीबायोटिक दवाओं जिसकी आपको जरूरत नहीं होती है या आप उन्हें सही तरीके से उपयोग नहीं करते हैं, तो एंटीबायोटिक प्रतिरोध पैदा हो सकता है। इसका मतलब है कि जिस बैक्टीरिया के खिलाफ पहले दवा असरदार थी उसके खिलाफ अब उसका कोई प्रभाव नहीं होता है । एंटीबायोटिक दवा के प्रभावों का जीवाणुओं के खिलाफ असर कम होना (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस या एएमआर) पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध (एएमआर) तब होता है जब बैक्टीरिया उन एंटीबायोटिक दवाओं को हराने की क्षमता विकसित कर लेते हैं जिन दवाओं को विशेष रूप से बैक्टीरिया को मारने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस तरह के प्रतिरोधी कीटाणुओं से होने वाले संक्रमण का इलाज बहुत मुश्किल हो जाता है और और यह जीवन के सभी चरणों में मनुष्यों को प्रभावित कर सकते हैं।
एएमआर दुनिया भर में हो रहा है और संक्रामक रोगों के उपचार को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। भले ही जीवाणुओं का यह प्रतिरोध एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन यह भी सही है कि मनुष्यों और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग इस प्रक्रिया को तेज कर रहा है। बड़ी संख्या में विभिन्न संक्रमण जैसे तपेदिक (टीबी), निमोनिया और गोनोरिया का इलाज करना बहुत मुश्किल हो रहा है क्योंकि उनके उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक्स कम प्रभावी हो रहे है।जब आप एंटीबायोटिक्स लेते हैं, तो अपने डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें। यदि आप बेहतर महसूस करते हैं तो भी अपनी दवा खत्म करना महत्वपूर्ण है। यदि आप बहुत जल्द इलाज बंद करते हैं, तो कुछ जीवाणु जीवित रह सकते हैं और आपको फिर से संक्रमित कर सकते हैं।
यदि किसी बीमारी में डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं आपको देते हैं या आप उन्हें कोई दवा देने के लिए कहते हैं, तो यह जानें कि ये दवाएं किन बीमारियों का इलाज कर सकती हैं? क्योंकि एंटीबायोटिक्स सब कुछ ठीक नहीं कर सकते हैं। एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया के संक्रमण का इलाज करते हैं। वे वायरस (वायरल इन्फेक्शन) के खिलाफ काम नहीं करते हैं। यह समझना जरूरी है कि कौन सी बीमारी बैक्टीरियल है और कौन सी वायरल? बैक्टीरियल इन्फेक्शन (जीवाणु संक्रमण) के उदाहरण- खराब गला, निमोनिया, मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई), त्वचा में संक्रमण आदि और वायरल संक्रमण के उदाहरण हैं- सर्दी, फ़्लू, ब्रोंकाइटिस, ज्यादा खांसी और अक्सर गले में खराश।
विश्व स्वास्थ्य संगठन जागरुकता बढ़ाने और एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के दौरान सर्वोत्तम तरीकों को प्रोत्साहित करने के लिए एक वैश्विक अभियान “देखभाल के साथ संभाल” का समन्वय कर रहा है। इसके साथ ही भारत में, सरकार ने भी पर एक राष्ट्रीय कार्य योजना भी शुरू की है। लोगों को जागरुक रह कर इसमें अपना सहयोग देना ही होगा।

Facebooktwitterrssyoutube
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2019 AyushDarpan.Com | All rights reserved.