आयुष दर्पण

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पीली हल्दी के औषधीय गुणों से तो आप सभी वाकिफ ही होंगे लेकिन आज हम आपको काली हल्दी (Black turmeric) के औषधीय गुणों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।भारत मे काली हल्दी को टोटके और जादू टोने के लिये प्रयोग में लाया जाता रहा है।Curcuma casia लेटिन नाम से प्रचलित यह वनस्पति भी अपने औषधीय गुणों के कारण जानी जाती है।इस वनस्पति में में 30 विभिन्न रासायनिक तत्व पाये जाते हैं जिनमे 97% तैलीय तत्व होते हैं जिनमे कपूर (28%), ar-turmerone (12%), (Z)-ocimene (8%), ar-curcumene (7%), 1,8-cineole (5%), elemene (5%), borneol (4%), bornyl acetate (3%) and curcumene (3%) आदि मुख्य घटक हैं।इसके ताजे सुखाए हुए कन्दों को लियोकोडर्मा ,दमा,ट्यूमर,बुखार,बवासीर आदि के उपचार में प्रयुक्त होती है। वैज्ञानिक शोध काली हल्दी के  एंटीहायपरग्लाइसीमिक,एंटीमाइक्रोबियल,एंटीपायरेटिक ,लारविसाइडल प्रभावों को बताते हैं।हल्दी की इस वेराइटी को एंडेन्जर्ड स्पेसीज में रखा गया है ।काली हल्दी में पाये जानेवाले तेलीय तत्व एंटिफंगल गुणों से युक्त पाये गये है साथ ही गठिया के दर्द में भी काफी लाभकारी पाये गये हैं ।इसके कन्दों से बनाई गई पेस्ट का प्रयोग डीसेंट्री एवं पुल्टिस का प्रयोग दर्द और सूजन को कम करने में किया जाता है ।आसाम की खमती जनजाति के लोग इसके कन्द से बिच्छु और सांप के काटे में प्रयोग करते हैं।इसमे पाये जानेवाले रासायनिक तत्व कूरकुर्मिनोइड्स एंटीऑक्सीडेंट गुणों से युक्त होते हैं।बड़े पैमाने पर सौंदर्ययुक्त साधन के निर्माण एवं औषधियों के निर्माण में इसका काफी प्रयोग होता है।काली हल्दी के साथ कई टोटके भी जुड़े हुए बताये जाते हैं जिन्हें प्रयोग कर किस्मत बदलने के दावे किये जाते हैं ।

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