“गांठों से था परेशान, आयुर्वेद से पाया आराम | न्यूरोफाइब्रोमा का सफल उपचार”

देहरादून (आयुष दर्पण)।
गंभीर रोगों में आयुर्वेद की भूमिका लगातार सशक्त होती जा रही है। इसका एक जीवंत उदाहरण है विक्रम कुमार शर्मा, जो न्यूरोफाइब्रोमा जैसी जटिल बीमारी से वर्षों से पीड़ित थे। देहरादून स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल, माजरा में वैद्य डॉ. नवीन जोशी (एम.डी. आयुर्वेद) की देखरेख में उन्हें आयुर्वेदिक उपचार मिला, जिससे उन्हें उल्लेखनीय राहत प्राप्त हुई।
क्या है न्यूरोफाइब्रोमा?
न्यूरोफाइब्रोमा एक दुर्लभ लेकिन गंभीर रोग है, जिसमें रोगी के शरीर पर त्वचा के ऊपर कई गांठें (गांठ जैसी संरचनाएं) उभर आती हैं। ये न केवल शरीर की सौंदर्यता को प्रभावित करती हैं, बल्कि कई बार दर्द और असुविधा का कारण भी बनती हैं। रोगी को सामाजिक और मानसिक रूप से भी संघर्ष करना पड़ता है।
आयुर्वेदिक उपचार कैसे रहा प्रभावी?
रोगी विक्रम शर्मा ने एलोपैथिक इलाज से संतोषजनक परिणाम न मिलने के बाद आयुर्वेद की ओर रुख किया।
उन्हें निम्नलिखित आयुर्वेदिक उपचार दिए गए:
- शोधन चिकित्सा: विशेष रूप से पंचकर्म की बस्ती चिकित्सा, जिससे शरीर से दोषों का निष्कासन किया गया।
- शमन चिकित्सा: धात्वाग्नि (धातु पाचन क्षमता) को संतुलित करने वाली औषधियों का प्रयोग।
- निरंतर फॉलोअप और आहार-विहार (डायट और लाइफस्टाइल) पर विशेष ध्यान।
रोगी का अनुभव: वीडियो में जानिए उनकी जुबानी
विक्रम शर्मा ने अपने अनुभव को वीडियो टेस्टिमोनियल के माध्यम से साझा किया है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आयुर्वेद ने उन्हें नया जीवन दिया।
वीडियो लिंक देखें:
Vikram Kumar Sharma – Neurofibroma Ayurvedic Treatment Testimonial
डॉ. नवीन जोशी का दृष्टिकोण
डॉ. नवीन जोशी का मानना है कि “आयुर्वेद में रोग के मूल कारण को पहचानकर उसे संतुलित करने की शक्ति है। यदि रोगी अनुशासित रूप से चिकित्सा का पालन करे, तो गंभीर रोगों में भी आयुर्वेद चमत्कारी परिणाम दे सकता है।”
निष्कर्ष
यह केस स्टडी आयुर्वेद की वैज्ञानिकता और उपचार क्षमता को प्रमाणित करती है। न्यूरोफाइब्रोमा जैसे कठिन रोग में भी जब समर्पित चिकित्सा, अनुभव और अनुशासित फॉलोअप को जोड़ा जाता है, तो सकारात्मक परिणाम संभव हैं।