जानें भीमल के बारे में

उत्तराखंड में औषधीय वृक्षों की कोई कमी नहीं है | औषधीय वृक्षों में एक नाम है भीमल, जिसके पेड़ काफी बड़ी मात्रा में पहाड़ों पर खेतों के किनारे पाए जाते है | इसे हम भीकू, भीमू, और भियुल नाम से भी जानते है | इस पेड़ का कोई ऐसा भाग नहीं है जो काम नहीं आता हो |इसका लेटिन नाम ग्रेवीया अपोजीटीफोलिया है।इसकी ऊंचाई 9 से 12 मीटर तक होती है यह तराई से 2000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है।इसे ‘वंडर ट्री ‘भी कहा जाता है।भीमल की टहनियों से पत्तियां तो जानवरों के चारे के लिए उपयोग में ली जाती हैं,
टहनियों को सुखा कर, स्थिर जल कुंडों में भिगाने रख देते हैं, जहाँ हफ्ते दो हफ्ते में बाहरी छाल सड़ जाती है, पानी से बाहर निकाल कर,इस छाल से रेशे निकाल कर सुखाये जाते हैं, रेशों को पत्थर पर पटकने और झटकने से छाल के अवशेष हट जाते हैं और मुलायम से एक मीटर के लगभग लम्बे, भूसे के रंग के रेशे, प्राप्त होते है। स्थानीय भाषा में यह रेशा स्योल्ल्हू के नाम से जाना जाता है। जिन्हें उँगलियों से कंघी करके बारीक रेशों को अलग करके, बाँटकर पतली रस्सियां बनाई जाती हैं। इन पतली रस्सियों की तीन लड़ों को बाँटकर लम्बी मोटी रस्सियाँ बनाई जाती हैं, जिनका उपयोग जानवरों को खूटों से बांधने के लिए होता है. भीमल की रस्सियों मुलायम, मजबूत और नमी रोधक होती हैं। ये जानवरों की गर्दनों को कोइ हानी नहीं पहुंचाती हैं इसके अलावा, जहाँ भी मजबूत, मोटी रस्सियों की आवश्यकता होती है, वहां यह रस्सी उपयोग में लाई जाती है| भीमल के कच्ची सीटों से चाल निकालकर डंडे से कूटकूटकर अठाला नामक झाग से महिलाएं बालों को शैंपू की तरह धोती है, शहरों की बड़ी पंसारी की दुकानों पर भी शिकाकाई की मिश्रण सामग्री के साथ अब भीमल की छाल भी मिल रही है
खेतों की मेंड़ों पर उगाये जाने वाले भीमल के पेड़, जाड़ों भर दुधारू जानव्रों के लिए हरे चारे का भरोसेमंद जरिया हैं, रेशा, और रेशा निकालने के बाद बची सूखी बारीक टहनियां चूल्हे में आग जलाने के लिए, और जब सेल वाली टोर्चें नहीं होती थीं , तब बाहर जाने के लिए रोशनी करने के काम आती थीं। कृषि और पशुपालन के ह्रास के साथ साथ इस इस रेशे की उपलब्धि कम होती जा रही है . दुग्ध उत्पादन बढाने के प्रयासों में अगर भीमल को बढ़ावा दिया जाता है तो यह रेशा उद्द्योग अच्छी आय देनेवाला कुटीर उद्द्योग बन साकता है .भीमल की क्षाल को उबालकर गौमूत्र के साथ सूजन और दर्द वाली जगह पर सेंक करनेसे तुरंत लाभ मिलता है ।