षडंगपानीय – आयुर्वेद का शीतल औषधीय जल

🪔 प्राचीन चिकित्सा का शीतप्रशमन अमृत
भारतीय आयुर्वेद पद्धति की गहराइयों में ऐसे अनेक रत्न छिपे हैं जो आज के समय में भी उतने ही उपयोगी हैं जितने वे सहस्त्रों वर्ष पूर्व थे। ऐसा ही एक पारंपरिक, शीतल और रोगशामक पेय है – षडंगपानीय। यह केवल जल नहीं, बल्कि एक औषधीय संयोग है, जिसका वर्णन चरक संहिता के ज्वर चिकित्सा अध्याय में मिलता है।
🔍 षडंगपानीय क्या है?
“षडङ्ग” यानी छह अंग – अर्थात् छह औषधियाँ। इन औषधियों के चूर्ण से बना यह पेय विशेषतः ज्वर, तृषा (अत्यधिक प्यास), दाह (शरीर में जलन) जैसी अवस्थाओं में शांति और संतुलन प्रदान करता है।
🌿 षडंगपानीय की रचना
क्र. | औषधि (संस्कृत) | वानस्पतिक नाम | गुण एवं उपयोगिता |
---|---|---|---|
1. | मुस्त | Cyperus rotundus | पाचनकारक, दाहनाशक |
2. | पित्तपापड़ा | Fumaria parviflora | अग्निवर्धक, वात-कफ शामक |
3. | उशीर | Vetiveria zizanioides | शीतल, तृषा और दाह शांत करता है |
4. | चन्दन | Pterocarpus santalinus | पित्तनाशक, सुगंधित, शीतल |
5. | उदीच्य/उदिच्य | Valeriana wallichi | सुगंधित, शीतल, तृषाशामक |
6. | नागर (सौंठ ) | Zingiber officinale | अग्निवर्धक, आमपाचक , शांतिदायक |
📜 चरक संहिता में इन्हीं छह औषधियों से तैयार जल को “षडंगपानीय” कहा गया है।
🧪 औषधीय गुण और लाभ
✅ तृषा को शांत करता है
✅ प्रारंभिक ज्वर में लाभकारी
✅ दाह और आंतरिक जलन को दूर करता है
✅ शरीर में शीतलता प्रदान करता है
✅ पाचन अग्नि को सुधरता है
✅ पित्तदोष के लक्षणों में उपयोगी
🫗 सेवन विधि (परंपरागत निर्देश)
- सभी 6 औषधियों को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें।
- 5 ग्राम चूर्ण को लगभग 2.5 लीटर (8 ग्लास) जल में डालें।
- मंद अग्नि पर उबाल आने तक पकायें।
- ठंडा होने पर छानकर रखें।
- दिन भर में आवश्यकता अनुसार थोड़ा-थोड़ा सेवन करें।
इसे क्वाथ जल या सुगंधित शीतल पेय के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
📖 शास्त्रीय प्रमाण
“षडङ्गं नाम जलं शीतं तृषाज्वरदाहनुत्।”
(चरक संहिता, चिकित्सा स्थान, ज्वर चिकित्सा अध्याय)
यह श्लोक स्पष्ट करता है कि षडंगपानीय एक ऐसा जल है जो शीतल, तृषानाशक और ज्वरशामक है।
☀️ कब और कैसे उपयोग करें?
🩺 ज्वर की प्रारंभिक अवस्था में
🔥 अत्यधिक प्यास और शरीर में जलन होने पर
🌞 गर्मियों के मौसम में शरीर को ठंडा रखने हेतु
🍽️ पाचन मंदता और आमदोष की स्थिति में
🪷 निष्कर्ष
षडंगपानीय केवल एक औषधीय पेय नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक जीवनशैली का अंग है। यह शरीर की गर्मी और असंतुलन को दूर कर, आंतरिक शांति और पाचन संतुलन प्रदान करता है। ज्वर जैसी सामान्य किन्तु कष्टकारी अवस्था में इसका प्रयोग सहज, प्राकृतिक और अत्यंत प्रभावी उपाय है।
आज के युग में जब हम शीतल पेयों के लिए रासायनिक विकल्पों की ओर देख रहे हैं, वहीं आयुर्वेद हमें षडंगपानीय जैसा शुद्ध, प्रभावकारी और शाश्वत विकल्प देता है।
⚠️ अस्वीकरण
यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया किसी भी औषधीय योग या उपचार को प्रशिक्षित वैद्य के परामर्श के बिना न अपनाएँ।
✍️ प्रस्तुतकर्ता: आयुष दर्पण टीम