आयुष दर्पण

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ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचती आयुष चिकित्सा पद्धतियां

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ग्रामीण क्षेत्रो में आयुष चिकित्सा पद्धतियों के प्रचलन का इतिहास बहुत पुराना रहा है ,जब आधुनिक चिकित्सा पद्धति अपने शैशव काल मे थी तब भी लोग वैद्यों ,हकीमों एवं योगियों की शरण मे रोग से मुक्ति हेतु जाते रहे थे।वर्तमान में भी पूरे भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में आयुष चिकित्सालय अल्प संसाधनों के साथ कार्य करते रहे हैं जिससे आयुष चिकित्सा पद्धतियों का लाभ अंतिम व्यक्ति को मिलता रहा है ,लेकिन इस मिशन को वर्तमान स्वास्थ्य व्यवस्था की अंतिम कड़ी आशाओं एवं एएनएम से जोड़ने का प्रयास शायद ही कभी हुआ हो,क्योंकि इस प्रकार के कार्यक्रम को करने में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सहभागिता आवश्यक होती है।पिछले वर्ष इस कार्य को अमली जामा भारत सरकार के अधीन आनेवाले केंद्रीय आयुष मंत्रालय में कार्यरत सचिव वैद्य राजेश कोटेचा एवं उनकी टीम ने उठाया ।यह पहला अवसर है जब आयुष मन्त्रालय किसी आयुष चिकित्सा से जुड़े बड़े अधिकारी के अधीन आया ,और इसके परिणाम अब दिखने लगे हैं। टीओटी ट्रेनिंग प्रोग्राम इसका एक उदाहरण मात्र है जिसमे देश भर के आयुष चिकित्सको को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया गया,राज्यो में कार्यरत ये मास्टर ट्रेनर आयुष चिकित्सक अपने- अपने राज्यों में जिले एवं ब्लॉक स्तर पर कार्यरत आयुष चिकित्सको को प्रशिक्षित कर चुके हैं जिनके द्वारा जिले एवं ब्लॉक स्तर पर आशा एवं एएनएम कार्यकर्त्रीयों को प्रशिक्षित करने का कार्य पूर्ण मनोयोग से किया जा रहा है ।उक्त कार्यक्रम के लगभग सभी राज्यो में सफलतापूर्वक संचालित किये जाने की रिपोर्ट्स आयुष दर्पण की टीम को मिली है। इस कार्यक्रम में एक मॉड्यूल बना कर इन स्वास्थ्य से जुड़ी अंतिम प्रहरियों को आयुष चिकित्सा पद्धातियो के लाभ के बारे में जनसामान्य को जागरूक करने हेतु प्रशिक्षित किया जा रहा है। हरियाणा के सोनीपत में कार्यरत डॉ विनोद के अनुसार राज्य में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पिछले वर्ष ही पूरा हो चुका है लगभग अधिकांश आशा एवं एएनएम प्रशिक्षण पा चुकी हैं।जम्मू कश्मीर से डॉ इरफान भी इस कार्यक्रम में कुछ तकनीकी समस्याओं का उल्लेख करते है फिर भी राज्य में इस कार्यक्रम की प्रगति से वे सन्तुष्ट हैं ।पश्चिम बंगाल के टीओटी प्रोग्राम के कोर्डिनेटर डॉ शुभर भट्टाचार्या के अनुसार उनके राज्य में जिला स्तर पर 152 आयुष चिकित्सको को प्रशिक्षित किया जा चुका है अभी 5 बैच में यह प्रशिक्षण 29 जनवरी तक चलना है।उत्तरप्रदेश में कार्यरत यूनानी चिकित्सक डॉ अब्दुल कबी के अनुसार राज्य में जिले स्तर की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है एवं अब ब्लॉक स्तर पर यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आगे चलनेवाला है ।उत्तरपूर्व के राज्यो में भी यह प्रोग्राम शीघ्र ही प्रारम्भ होनेवाला है मणिपुर में कार्यरत डॉ रीता माधुरी के अनुसार उनके राज्य में जिले स्तर पर दी जानेवाली ट्रेनिंग का मॉड्यूल बनाया जा चुका है और यह ट्रेनिंग प्रोग्राम शीघ्र ही प्रारम्भ कर दिया जाएगा।उत्त्तराखण्ड राज्य में भी यह ट्रेनिंग प्रोग्राम अत्यंत सफल रहा है जिले स्तर पर गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडल में यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है गढ़वाल मंडल में कार्यरत डॉ सुनील रतूडी के अनुसार उनके जनपद में अधिकांश आशा एवं एएनएम को प्रशिक्षण दिया जा चुका है ठीक इसी प्रकार कुमाऊं मंडल के दूरस्थ जनपदों में भी प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है।कुमाऊँ मंडल में कार्यरत चिकित्सक डॉ कुबेर सिंह अधिकारी केे अनुसार अल्मोडा जनपद के हवालबाग एवं द्वाराहाट ब्लॉक में ही तकरीबन 300 आशा एवं एएनएम प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं। चंडीगड़ में कार्यरत आयुष के नोडल आफीसर डॉ राजीव कपिला के अनुसार उनके केंद्र शासित प्रदेश में शीघ्र ही यह कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है।छत्तीसगढ़ राज्य में भी यह कार्यक्रम पूर्व से ही चल रहा है तथा नया ट्रेनिग मॉड्यूल इस कार्यक्रम को और भी गति देने का कार्य कर रहा है।यह कहा जा सकता है कि भारत सरकार आयुष मंत्रालय की आयुष को अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य कार्यकर्त्रियों के माध्यम से पहुंचाने की यह योजना पूरी तरह से सफल रही है अब इंतजार भविष्य में होनेवाले सांख्यिकी सर्वे रिपोर्ट्स पर होगी जिससे यह बताया जा सकेगा कि इस कार्यक्रम ने मधुमेह जैसे जीवनशैली से संबंधित विकारों की रोकथाम में आयुर्वेद,यूनानी, योग ,होमियोपैथी आदि चिकित्सा पद्धातियो ने कितनी भूमिका निभाई। टीओटी प्रशिक्षण प्रोग्राम की राज्यो से आई ट्रेनिंग के चुनिंदा चित्र :

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