कोरोना वायरस से बचाव आयुर्वेद की नजर से

चीन के वुहान प्रांत से पूरी दुनिया मे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी के रूप में फैला कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के संदर्भ में आयुर्वेद का नजरिया क्या है इस सवाल को जानने में कई लोगों की रुचि है।
आयुर्वेद की चरक संहिता में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि
विकारानाम अकुशलो न जिह्वियात कदाचनः …
यानि रोगों के नाम हर युग मे नये नये नामों से सामने आते रहेंगे यदि कतिपय आपको इनके नाम नये लग रहै हों तो भी आप इसमें कुछ नया न समझ आयुर्वेदिक सिद्धांतों के आधार पर ही चिकित्सा करें।
दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य जो कोरोना वायरस के संबंध में सत्य प्रतीत होता है वह है संक्रामक रोगों के सम्बंध में बताया गया है वह है
प्रसंगाद गात्रसंस्पर्शाननिश्वासातसहभोजनात ।सहशय्याssस्नाच्चापि वस्त्रमाल्यानुलेपनात ।।
सुश्रुत निदान स्थान अध्याय 6/32
यह सभी तथ्य कोरोना जैसे संक्रमणों से बचाव हेतु आज के परिप्रेक्ष में अनुपालनीय उपायों में से एक हैं।
आज कोरोना या किसी भी वायरस से डरने की कोई जरूरत नही है जरूरत है तो सिर्फ और सिर्फ इसके संक्रमण से स्वयं को बचाने के उपायों का अनुपालन करने की।
-चूंकि या वायरल संक्रमण ड्राप्लेट द्वारा फैलता है (जैसे खांसने,छींकने आदि से) अतः इनके संपर्क में आने से बचना।
-आपके सामने यदि कोई व्यक्ति फ्लू के संक्रमण से पीड़ित हो तो उससे 2 से 5 मीटर की दूरी अवश्य बना लें।
-भीड़ भाड़ वाली जगह में जाने से बचें ।
-आयुर्वेद में वर्णित रसायन औषधियों का सेवन करना रोगप्रतिरोधक क्षमता को ठीक रखता है ।