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जानें किस पौधे की दहाड़ से रोग घबराते हैं!

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अपने आसपास खेतों में या फिर सड़क के किनारे यूं ही उग जाने वाली 8 से 25 फुट की एक वनस्पति को आपने अक्सर देखा होगा ,जिसके पत्ते चौड़े होते हैं और उस पर काँटेनुमा बीज लगे होते हैं अगर इनके पत्तों को गौर से देखें तो यह एक चौड़े हाथ की समान आकृति सी दिखती है इसे संस्कृत में गंधर्व हस्त भी कहते हैं। इस वनस्पति के बारे में यह कहा जाता है कि इसके गुण इतने उपयोगी हैं कि इसके लिए कहा गया है कि इसके बीजों से निकलने वाले तेल का प्रयोग वात रोगों में असरदार होने को एक संस्कृत के श्लोक से अलंकृत किया गया है जैसे जंगल में शेर की दहाड़ सुनकर जानवर घबराते हैं वैसे ही शरीर में इसके प्रयोग से वात रोग निर्मूल हो जाते हैं। आप जानना चाहेंगे इस पेड़ के बारे में तो हम आपको बताते हैं इस वनस्पति का नाम एरंड है जिसे अंग्रेजी में कैस्टर प्लांट तथा लेटिन में राईसीनस कम्युनिस भी कहते हैं। इसके बीजों से एक विशेष प्रकार का तैल निकाला जाता है जिसे कैस्टर ऑयल या अरंडी के तेल के रूप में आप जानते होंगे। अक्सर इस तेल का प्रयोग मालिश एवं पेट साफ करने के लिए सदियों से वैद्य एवं आधुनिक चिकित्सक भी करते आ रहे हैं। इसके बीजों में एक विशेष प्रकार का रसायन राईसोनिलिन पाया जाता है यह एक प्रकार का ट्राईगलीसराईड श्रेणी
का फैट है ।इसके बीजों में एक पानी मे घुलनशील जहरीला तत्व राईसीन भी पाया जाता है।
*आईये जानते है इसके गुणों को*
-एक कप दूध में एक चम्मच अरंडी का तेल डालकर पीने से पेट साफ होकर आंतों की सफाई हो जाती है।
-दर्द या सूजन वाले स्थान पर इसके पत्तों को पुल्टिश की तरह बांधना सूजन को कम करता है।
-वात रोगों जैसे गठिया,सियाटिका,जोड़ों में होनेवाले किसी भी प्रकार के दर्द में एरंड का तेल अत्यंत लाभकारी है इसकी मालिश से ही लाभ मिल जाता है।
-एरंड की जड़ के चूर्ण को सौंठ के चूर्ण के साथ काढ़ा बनाकर देने से भी गठिया जैसी जोड़ों की समस्या में काफी लाभ मिलता है।
-एरंड के तेल में हल्दी को मिलाकर इसे आग में जलाएं और छान लें ठंडा होने पर कपूर मिलाकर बालों पर लगायें ,बालों की समस्या में काफी लाभ मिलता है।
-गर्भवती महिलाओं में प्रसव को बिना कष्ट सम्पन्न कराने में एरंड तेल को स्त्री रोग विशेषज्ञ सदियों से करती आ रही हैं।
-फिशर के रोगी में एरंड तेल को पिलाना लाभकारी होता है।
-आयुर्वेदिक चिकित्सक एरंड तेल के कल्प क्रम से मात्रा बढ़ाते हुए फिर क्रम से घटाने का प्रयोग जोड़ों के दर्द एवं गठिया में सदियों से करते आ रहे हैं इस पर प्रोफेसर यू एस निगम के निर्देशन डॉ नवीन जोशी ने विक्रम विश्विद्यालय उज्जैन में एक शोध अध्ययन भी किया है जिसमे इसके सूजन रोधी प्रभाव देखे गए हैं।
-अरंडी की पत्तियों के रस को एलोवेरा के रस के साथ 5 से 10 मिली की मात्रा में सेवन करने से लीवर और तिल्ली से से सबंधित समस्याओं में काफी लाभ मिलता है।

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