प्रमेह को नियंत्रित करने में सिद्ध है यह योग!

आयुर्वेद एक सम्पूर्ण चिकित्सा विज्ञान है और शास्त्र एवं संहिताएँ इसके आधार स्तम्भ हैं I
बोलचाल की भाषा में डायबीटीज (रक्तगत शर्करा का सामान्य स्तर से बढ़ जाना )के नाम से प्रचलित रोग भी आयुर्वेद संहिताओं में प्रमेह रोग के अंतर्गत वातिकप्रमेह में वर्णित है I मैंने पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को स्वतः किलमोड़े (दारुहरिद्रा ) की जड़ का क्वाथ बनाकर पीकर रक्तगत शर्करा कंट्रोल होने की बात सुनी,अधिकाँश डायबीटिक रोगी स्वतः इस जड़ का पानी पीने की बात करते रहे हैं ,तभी मुझे चरक संहिता चिकित्सा स्थान अध्याय 6/26 का यह सूत्र स्मृतिपटल पर रेखांकित हो आया, जिसे आज मैं आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूँ जिसके इस रोग को नियंत्रित करने में निसंशय चमत्कारिक प्रभाव हैं I आयुर्वेद के क्षेत्र में कार्य कर रहे नवीन चिकित्सक इसे अपने रोगियों में आजमा सकते हैं I
दार्वी सुराह्वां त्रिफला समुस्तां कषायमुत्क्वाथ्य पिबेत प्रमेही !
क्षोद्रेंण युक्तामथ्वा हरिद्रा पिबेद्र्सेनामलकीफलानाम !!
-इस योग में दारुहरिद्रा (Berberis sp.),देवदारु ( Cedrus.deodara ),आंवला (Emblica officinalis),हरड(Terminalia Chebula),बहेड़ा (Terminalia belerica),नागरमोथा (Cyperus rotundus) इन सबको समान मात्रा में लेकर विधि पूर्वक काढा बना लें और प्रमेह से पीड़ित रोगी को पिलायें..निश्चित ही रक्तगत शर्करा नियंत्रित होगी !
-आंवले के ताजे फल के रस में हरिद्रा का पाउडर एवं मधु मिलाकर पिलाना भी लाभकारी है !
* इस योग का प्रयोग करने से पूर्व चिकित्सक का परामर्श अतिआवश्यक है I