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रोडीओला रोजीया :आधुनिक संजीवनी

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वैज्ञानिकों की मानें तो हिमालय की ऊँचाइयों पर मिलनेवाला रोडीओला रोजीया में विपरीत परिस्थितियों से शरीर को जूझने में समर्थ बनाने की अद्भुत क्षमता है ,शायद ऐसा ही कुछ हमारे पौराणिक ग्रन्थ रामायण में वर्णित संजीवनी में भी था ! पूर्वी यूरोप से लेकर एशिया तक रोडीओला को सदियों से नाडी संस्थान एवं मस्तिष्क की क्षमता को बढाने वाली वनस्पति के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है Iयह वनस्पति 1990 में चर्चा में आयी थी जब न्यूज़वीक पत्रिका में छपे एक लेख के अनुसार इसे शक्तिवर्धक एवं मस्त करनेवाली औषधि के रूप में बताया गया था ,अर्थात वर्तमान जीवनशैली में उत्पन्न तनाव में विशेषकर मानसिक तनाव को कम करने में इस वनस्पति को बड़ी ही उपयोगी माना गया है,अर्थात इसे माडर्न संजीवनी नाम देना अतिशयोक्ति नहीं होगी Iयह अद्भुत वनस्पति पूरी दुनिया में ऊँचाइयों पर ठन्डे मौसम में समुद्रतल से लगभग 2280 मीटर की उंचाई पर पायी जाती है,यह  मध्य एशिया के हिमालयी क्षेत्र से लेकर आर्कटिक एवं यूरोप में आल्प्स,कार्पेथीयन माउन्टेन,स्केंडेनेवीया तथा आयरलेंड तक पायी जाती है ! भारत में लद्दाख में इसे स्थानीय लोग ‘सोलो” नाम से पुकारते हैं और स्थानीय लोग इसकी पत्तियों की सब्जी बनाकर खाते हैं I इस वनस्पति में पाए जानेवाले अनेक तत्व एंटीआक्सीडेंट गुणों से भरपूर हैं ! कुछ अध्ययनों में इसे अवसाद कम करने वाली वनस्पति के रूप में भी प्रभावी पाया गया है Iरूस एवं ,स्केंडेनेवीया में सदियों से लोग इसका प्रयोग ठन्डे सायबेरियन मौसम से उत्पन्न स्थितियों से बचने के लिए करते रहे हैं अर्थात इस वनस्पति से शरीर में गजब की एडेप्टोजेनिक क्षमता उत्पन्न हो जाती है Iचीन में भी इसे पारंपरिक चिकित्सा में लोग उंचाई में होनेवाली तकलीफों से बचने के लिए   होन्ग जिंग तेयां  (红景天) औषधि के नाम से प्रयोग करते हैं Iइसकी जड़ों में पाए जानेवाले 140 रासायनिक तत्व फेनोल,रोजेविन,रोजेरिन,आर्गेनिक एसिड,तर्पेनोइड,फेनोल्कार्बोनिक एसिड आदि प्रभावी होते हैं I

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