पंचकर्म पर हुई एक दिवसीय कार्यशाला -प्रोफेसर निगम हुए आइकोन आफ पंचकर्म से सम्मानित

देहरादून, 28 सितम्बर।
देहरादून स्थित आयुष दर्पण फ़ाउंडेशन कार्यालय में रविवार को *एक दिवसीय पंचकर्म कार्यशाला* का आयोजन किया गया। कार्यशाला में उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों से आए आयुर्वेदिक चिकित्सकों के साथ-साथ पर्वतीय क्षेत्रों से जुड़े चिकित्सकों ने वर्चुअल माध्यम से भी सहभागिता दर्ज की।
कार्यशाला का मुख्य आकर्षण रहे *मुंबई से पधारे पंचकर्म विशेषज्ञ प्रो. वैद्य उमाशंकर निगम*। उन्होंने पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की बारीकियों पर प्रकाश डालते हुए चिकित्सकों की प्रैक्टिस में आने वाली शंकाओं का समाधान किया। उनके उत्कृष्ट योगदान को देखते हुए उन्हें इस अवसर पर *“आइकॉन ऑफ द पंचकर्म”* सम्मान से अलंकृत किया गया।
कार्यक्रम में *आयुष मिशन देहरादून के नोडल अधिकारी हरिमोहन त्रिपाठी* ने पंचकर्म चिकित्सा को जन-जन तक पहुँचाने में सरकारी योजनाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। *डॉ. गरिमा शर्मा, डॉ. रेखा खन्ना और डॉ. आकांक्षा नेगी* ने अपने शोध एवं अनुभव साझा करते हुए बताया कि आधुनिक जीवनशैली जनित रोगों में पंचकर्म कितनी प्रभावी चिकित्सा पद्धति है।
इस दौरान *डॉ. विजय, डॉ. मयंक और डॉ. अतुल* समेत कई चिकित्सकों ने अपने अनुभव साझा किए और पंचकर्म की व्यावहारिक उपयोगिता पर चर्चा की।
कार्यक्रम का शुभारंभ *संस्था के ट्रस्टी डॉ. बी. डी. जोशी* ने दीप प्रज्वलन कर किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को वैज्ञानिक आधार पर प्रस्तुत करना समय की आवश्यकता है और इस दिशा में आयुष दर्पण लगातार कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम के अंत में *गुरुकुल हरिद्वार के डॉ. मयंक भटकोटी* ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ चिकित्सकों के लिए प्रेरणादायी होती हैं और पंचकर्म चिकित्सा को आमजन तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाती हैं।
आयुष दर्पण फ़ाउंडेशन की ओर से बताया गया कि आगामी समय में भी इस प्रकार की कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा ताकि पंचकर्म और आयुर्वेद चिकित्सा को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।