आयुष दर्पण

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नीम और मीठा है न कमाल…!

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नीम के गुणों से भी अधिक पर स्वाद में मीठा है यह मीठा नीम
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जीवन में ऐसा देखा है कि हम जिन वनस्पतियों की झाड़ीयों को आपने आसपास देखते हैं उनको अक्सर महत्व नहीं देते और वही वनस्पति यदि कहीं हमें मसाले के रूप में प्रयोग की गई हो या फिर किसी व्यंजन में सुंदर तरीके से डाली गई हो तो हम उसी स्वादयुक्त वानस्पतिक द्रव्य का बड़े चाव से सेवन करते हैं । ऐसी ही एक झाडीनुमा वनस्पति की अद्भुत जानकारी आज हम आपको देने जा रहे हैं जो आपको अपने आसपास ही दिख जाएगी , हिमालयी क्षेत्र सहित उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में मिलने वाली यह झाड़ीनुमा वनस्पति जिसे श्रीलंकाई एवं दक्षिण भारतीय रसेदार व्यंजनों विशेषकर इडली एवं सांभर में स्वाद को बढ़ाने के लिए प्रयोग में लाया जाता हैं कढी पत्ता के नाम से जानी जाती है।अंग्रेजी में इसे करी लीफ एवं संस्कृत में कृष्ण निम्बा के नाम से जाना जाता है।मुराया कोइनजी,बर्गरा कोइनजी आदि लेटिन नाम से प्रचलित प्रजातियों एवं नीम से मिलती जुलती पर स्वाद में मीठेपन एवं सुगन्ध के कारण इसे मीठी नीम के नाम से भी जाना जाता है।कुमाऊं एवं गढ़वाल क्षेत्र में पहाड़ी के निचले हिस्सों में आपको कहीं कहीं इसके झाड़ीनुमा पेड़ अपनी खुशबूदार नुकीली कमानीदार पत्तियों से आपका ध्यान खींच ही लेंगे। 2 से 4 मीटर ऊंचाई के इसके झाड़ीनुमा पेड़ 11 से 21 नुकीली कमानीयो के रूप में 1 से 2 सेमी चौड़ी खुशबू बिखेरती पत्तियों के रूप में तथा सफ़ेद रंग के फूल एवं छोटे छोटे काले रंग के चमकीले फलों से अपनी पहचान कराते हैं।
नीम के लिये किसी शायर ने कहा है कि

“दरख़्त नीम हूँ मेरे नाम से तुझे घबराहट तो होगी पर छाया मीठी ही दूंगा बेशक पत्तों में कड़वाहट होगी‘,

नीम के ही गुणों की तरह यह मीठी नीम भी बड़ी ही उपयोगी है आईये जानते हैं इसके उपयोग:
-यदि आप डायबीटिक रोगी हैं तो आप इस वनस्पति के पत्तों को अपने नित्य लिये जा रहे रसदार व्यंजनों में बस छौंक लगाने में ही प्रयोग कर लीजिये ,स्वाद के साथ- साथ यह आपके ब्लड शुगर को भी कंट्रोल करने में मददगार होगा।
-यदि आप खांस -खांस कर परेशान हैं तो आप इस मीठी नीम की पत्तियों को पीसकर या इसका पाउडर बना शहद के साथ चाट लें निश्चित ही आपको कफ के कारण होनेवाली परेशानियों में आराम मिलेगा ।
-कढ़ी पत्ता आयरन एवं फॉलिक एसिड का उत्तम स्रोत है तथा शरीर मे आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है अतः इसका नित्य सेवन खून की कमी जैसी समस्याओं को भी उतपन्न होने नही देता।
-नारियल के तेल में कढी पत्ते को उबालकर सिर पर लगायें और बालों की अच्छी तरह मालिश करें बालों की समस्या में काफी लाभ मिलता है।
-पाचन तंत्र से संबंधित समस्या उत्पन्न होने पर कढी पत्ते को छांछ के साथ मिलाकर पकाकर पीने से पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं में काफी लाभ मिलता है।

-यदि आप त्वचा रोग से संबंधित समस्याओं से पीड़ित हों तो भी कड़ी पत्ता आपके लिये फायदेमंद है।कील एवं मुहांसों की समस्याओं में भी प्रतिदिन कढ़ी पत्ते का सेवन करना या फिर उसका पेस्ट लगाना भी काफी हितकारी होता है।
-कढ़ी पत्ते में डाइक्लोरोमेथेन, एथिल एसीटेट और महानिम्बाइन जैसे खास रासायनिक तत्व पाये जाते हैं। इन तत्वों में वजन घटाने, कोलेस्ट्रॉल को कम करने और ट्राइग्लिसराइड (फैट का एक प्रकार) के स्तर को नियंत्रित करने की क्षमता पाई जाती है।
-कढ़ी पत्ते में टैनिन और कारबाजोले एल्कलॉइड जैसे तत्व मौजूद होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इन तत्वों में हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो लिवर की कार्यक्षमता को बढाते हैं।

नोट:उपरोक्त जानकारी आयुष दर्पण के सुधि पाठको के लिये अपने आसपास पाई जानेवाली वनस्पतियों
की पहचान के उद्देश्य से की गई है किसी भी वनस्पति के औषधीय प्रयोग से पूर्व चिकित्सकीय परामर्श नितांत आवश्यक है।

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