आयुष दर्पण

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दवाओं पर बढ़ते खर्च का विकल्प है आयुर्वेद की मर्म चिकित्सा

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कोलकाता।भारत और नेपाल के बीच मित्रता को बढ़ाने एवं पर्यटन से और अधिक रोजगार सृजन की सम्भावनायें तलाशने विषय पर आयुष दर्पण फाउंडेशन द्वारा आयोजित चौथे एवं दूसरे मर्म चिकित्सा विषय पर दो दिनी वर्कशाप सत्र के प्रथम सत्र का उद्धाटन केन्द्रीय जल संसाधन, गंगा विकास, संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा कोलकाता के मध्य स्थित होटल हिंदुस्तान इंटरनेशनल में शनिवार 22 दिसबर को हुआ।इस अवसर पर सर्वप्रथम श्री कुंजबिहारी सिंघानिया ने स्वागत भाषण देकर आयुष दर्पण फाउंडेशन द्वारा पूरे भारत मे आयोजित किये गये कार्यक्रमों के बारे में बताया।श्री कुंजबिहारी सिंघानिया ( सलाहकार आयुष दर्पण फाउंडेशन ट्रस्ट) ने बताया कि फॉउंडेशन वर्ष 2010 से आयुष दर्पण प्रिंटेड स्वास्थ्य पत्रिका तथा वेबपोर्टल के माध्यम से पूरी दुनिया मे जनजागृति ला रहा है।उन्होंने बताया कि आयुष दर्पण के तत्वावधान में आयोजित यह चौथा अंतराष्ट्रीय सेमिनार एवं मर्म चिकित्सा विषय पर कोलकाता मेंआयोजित दूसरा वर्कशाप है।कार्यक्रम में की-नोट उद्बोधन देते हुए हरिद्वार स्थित ऋषिकुल आयुर्वेद कालेज के परिसर निदेशक एवं सुविख्यात मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ प्रोफेसर सुनील जोशी ने मर्म चिकित्सा को अत्यंत पुरातन विधा बताया,उनके अनुसार जहां आधुनिक छिकित्सा विज्ञान 300 साल पुराना है वहीं आयुर्वेद 5000 साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है जबकि मर्म चिकित्सा विधा इससे भी प्राचीन विधा है।डॉ जोशी के अनुसार सही मर्म विंदु पर सही दवाब उत्पन्न कर चमत्कारिक प्रभाव प्राप्त किये जा सकते हैं तथा विश्व स्वास्थ्य संघटन के लक्ष्य सबके लिये स्वास्थ्य को प्राप्त किया जा सकता है।उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल मे लगातार दूसरी बार इस सेमिनार और वर्कशाप को आयोजित करने का उद्देश्य ही इस विज्ञान के लाभ को सर्वव्यापी बनाना है।सेमिनार में अतिथि उद्बोधन देते हुए नेपाल के राजनायिक श्री ईक नारायण अर्याल ने कहा कि वे मर्म विज्ञान की विधा के कायल हुए है और निश्चित रूप से इसे भारत और नेपाल के बीच मित्रता ,पर्यटन एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी को बढ़ाने में दोनों सरकारों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेंगे।अध्यक्षीय उद्बोधन में केंद्रीय जल संसाधन, गंगा विकास, संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आयुर्वेद को सबसे प्रभावी चिकित्सा पद्धति बताया एवं मर्म चिकित्सा विज्ञान को दवा दिये बगैर रोग ठीक करने की विधा के रूप में प्रतिस्थापित किये जाने पर बल दिया।उन्होंने आनेवाली सदी में बिना दवा के उपचार की विधाओं में मर्म विज्ञान को लोकप्रिय विधा के रूप में उभरने की बात कही।श्री मेघवाल ने आयुर्वेद को पँचमहाभूतिक प्रकृति से जोड़ते हुए कहा कि पारिस्थितिक संतुलन कर ही शरीर के अंदर और बाहर का स्वास्थ्य नियंत्रित किया जा सकता है।उन्होंने बताया कि नदियों की सफाई के लिये भी इकोसिस्टम्स में संतुलन आवश्यक है। उद्धाटन सत्र में अतिथियोंको शाल,स्मृति चिन्ह सहित रुद्राक्ष की माला भेंट की गई।कार्यक्रम का संचालन क्रमश:आयुष दर्पण फाउंडेशन के श्री कुंजबिहारी सिंघानिया एवं डॉ नवीन जोशी ने किया।कार्यक्रम की शुरुवात राष्ट्रगान, दीप प्रज्वलन के साथ हुई।अंत मे आभार आयुष दर्पण फॉउन्डेशन के सह संस्थापक डॉ नवीन जोशी ने माना।उद्घाटन सत्र के 5 ट्रेनर्स को सर्टीफिकेट एवं स्मृति चिन्ह दिए गए।उद्धघाटन सत्र के उपरांत दूसरे दिन उदयन क्लब में प्रातः डॉ सुनील जोशी के निर्देशन में मर्म योग शिविर संचालित किया गया।इस अवसर पर मर्म चिकित्सा पर एक कार्यशाला भी आयोजित की गई जिसके पश्चात शाम के सत्र में एक हेल्थ केम्प आयोजित किया गया जिसमें प्रतिभागियों के लिये निरोगस्ट्रीट ने एक क्विज प्रतियोगिता आयोजित की और विजेताओं को गिफ्ट दिये गये।प्रथम(22 दिसंबर) एवं द्वितीय दिवस (23 दिसंबर) सेमिनार एवं वर्कशाप में लगभग 100 से अधिक प्रतिभागीयों ने भाग लिया तथा 70 रोगियों का मर्म चिकित्सा शिविर में मर्म चिकित्सा से उपचारित किया गया।

 

 

 

 

 

 

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