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मृत्य को जीतने की क्षमता रखता है मर्म विज्ञान

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यूँ तो आयुर्वेद की कई विधायें अपने चमत्कारिक प्रभावो के लिये दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच रही है।उनमें से ही एक है मर्म चिकित्सा विज्ञान।मर्म विज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जिसे अबतक आघात से मृत्य हो जाने वाले बिंदुओं के विज्ञान के रूप में जाना जाता था।लेकिन मर्म चिकित्सा विज्ञान पर वर्षों से कार्य कर रहे गुरुकुल कांगड़ी आयुर्वेद कालेज के शल्य चिकित्सा विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ सुनील जोशी ने इसे एक चिकित्सा विज्ञान के रूप में स्थापित करने का बीडा उठाया है।वे देश विदेश में मर्म चिकित्सा को एक विज्ञान के रूप में प्रचारित और प्रसारित कर रहे हैं।मर्म विज्ञान के चमत्कारिक प्रभाव से प्रदेश के आयुष चिकित्सकों को रुबरु करवाने के उद्देश्य से आयुष विभाग ने एक 6 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया है।इस कार्यशाला का उदघाटन पोलेन्ड में भारत के पूर्व राजदूत श्री सी एम् भंडारी ने किया।भंडारी स्वयं भी योग एवं आयुर्वेद के मुरीद है ने कार्यशाला में प्रतिभाग करने आये आयुष चिकित्सकों को इस विधा को और अधिक जन जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।इस कार्यशाला को अपर निदेशक डॉ पीडी चमोली ,डॉ मीना आहूजा आदि ने संबोधित किया।इस अवसर पर डॉ उदय नारायण पांडे,डॉ नवीन जोशी,डॉ आशुतोष पन्त,डॉ मयंक भटकोटी,डॉ प्रदीप कुमार गुप्ता आदि चिकित्सक उपस्थित रहे।

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