आयुष दर्पण

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एक औषधीय पौधे के बारे में कहा जाता है कि “माँ कभी-कभार नाराज हो सकती है लेकिन यह औषधीय वनस्पति शायद ही नाराज होती हो”, अर्थात किसी भी प्रकार से सेवन करने पर नुकसान पहुंचाती हो ! नाम जानना चाहेंगे आप ..I जी हाँ इस अमूल्य औषधि का नाम हरड़ या हरीतकी है I त्रिफला के तीन घटकों में से एक यह अपने अतुल्य गुणों के कारण जानी जानेवाली एक बहुमूल्य औषधि है I आयुर्वेद में हरीतकी की आठ प्रजातियाँ बतायी गयी है जो विजया,रोहिणी,पूतना ,अमृता,अभया ,जीवंती एवं चेतकी के नाम से जानी जाती हैं I हरड़ में लवण रस को छोड़कर अन्य सभी पञ्च रस (मधुर,अम्ल,कटु,तिक्त,कषाय )पाए जाते हैं तथा इसे श्रेष्ठ रसायन औषधि माना गया हैI कहा जाता है कि मनुष्य यदि चेतकी हरड़ वृक्ष की छाया के नीचे पहुँच जाता है,तो उसे उसी समय कब्ज से राहत मिल जाती है Iहरड़ के बारे में कहा गया है ,कि चबाकर खाई जाय तो भूख बढानेवाली,पीसकर खानेपर मल का शोधन करनेवाली,उबाल कर खाई जाय तो तो संग्रहणी रोग को ठीक करने वाली और भून कर खाई जाय तो सभी दोषों का शमन करने वाली होती है I इसी प्रकार हरड़ को यदि भोजन के साथ सेवन किया जाय तो बुद्धि,इन्द्रिय एवं बल को विकसित करनेवाली,दोषों का शमन करनेवाली तथा विरेचनीय (दस्तावर ) औषधि है ,वहीँ यदि भोजन के बाद सेवन करने के बाद ऊपर से खाने पर खान-पान से सम्बंधित विकारों को दूर करने वाली होती है ,इसके अलावा यदि सैंधा नमक के साथ हरड का सेवन किया जाय तो कफ़ दोष का ,शक्कर के साथ लेने पर पित्त दोष का और घृत के साथ लेने पर वात दोष का एवं गुड के साथ लेने पर सभी रोगों को दूर करने वाली होती है I बाल हरड़ को मृदु विरेचक माना गया हैI ऐसी औषधि के गुणों को क्या आप विस्तार से सजीव रूप से जानना और पहचानना नहीं चाहेंगे तो बस इस लिंक पर क्लिक करें और देखें हिमालयी क्षेत्र में हरड़ के वृक्ष के पास शूट किये इस विडीयो को !

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