आयुष दर्पण

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विजया के नाम से जाने वाली एक महत्वपूर्ण औषधि भांग आज पूरी दुनिया में अपने औषधीय गुणों के कारण वैज्ञानिकों सहित सरकारों को इसे अपनी प्राथमिकता पर रखने को मजबूर कर रही है । इसके विभिन्न रोगों में चिकित्सकीय प्रयोग जिन्हें विभिन्न अनुसंधानों ने लगातार सिद्ध किया है आज सरकारों को इसके लीगलाइज मेडिसिनल यूज पर सोचने पर मजबूर कर रही है।वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए. के.एस. रावत एवम आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ नवीन जोशी ने तीन वर्ष पूर्व बोहेको एवं सीएसआईआर द्वारा दिल्ली में आयोजित कॉन्फ्रेंस में भी इसके विस्तृत मेडिसिनल यूज़ को बढ़ावा देने के लिए सरकारों को आगे आने के लिए कहा था, जिसके प्रति आज जागरूकता अवश्य ही आई है। अभी हाल में ही एक आई शोध जिसमे हवाई यूंनिवर्सिटी के जान ए बर्न स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने किया है,भांग को ह्रदय में पाए जानेवाले टीआरपीवी1 द्वारा हार्ट फेल्यर को रिवर्ट करने वाले गुणों से युक्त पाया है।उपरोक्त शोध को वैज्ञानिक पत्रिका चेनल्स के संस्करण में प्रकाशित किया गया है। गौर करने की बात है कि टीआरपीवी 1 के द्वारा केवल ओरल प्रयोग को ही प्रभावी पाया गया है जबकि इसके धूम्रपान के लिये किये जानेवाले प्रयोग को हानिकारक पाया गया है।यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आयुर्वेद में जिसे सभी रोगों को जीतने वाली औषधि “विजया” नाम वर्षों पूर्व दिया गया हो उसे महज ड्रग एब्यूज के कारण विस्तृत औषधीय प्रयोग से मानवता को वंचित रखा जा रहा है।केनेडा जैसे देशों ने इसके मेडिसिनल यूज को लीगलाइज कर दिया है जिससे मिर्गी,केंसर,हार्ट फेल्यर एवं पेन मैनेजमेंट जैसी स्थितियों में इसके लाभ को रोगियों तक पहुंचाया जा रहा है ।भारत जैसे देश मे जहां हिमालयी क्षेत्र में भांग की प्रजातियां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है को महज इंडस्ट्रीयल ही नही मेडिसिनल यूज के लिये भी लीगलाइज किये जाने की आवश्यकता है।कैनबिस पर स्पेन की मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट क्रिस्टीना सेंचेज का यह वीडियो जिसे आयुष दर्पण के पोर्टल पर अपलोड किया गया है कैंसर जैसी स्थितियों में भांग के महत्वपूर्ण उपयोग पर आपकी जानकारी को अवश्य ही बढ़ाएगा।

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