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उत्तसखण्ड आयुर्वेद विश्विद्यालय काभव्य प्रथम दीक्षांत समारोह हुआ सम्पन्न

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कई महीनों की व्यापक तैयारी के कारण उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय के लिये वो ऐतिहासिक पल आ ही गया जब प्रोफेसर सुनील जोशी कुलपति के नेतृत्व में पहला दीक्षांत समारोह भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। ।विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति / राज्यपाल ले०ज० (से0नि0) श्री गुरमीत सिंह की अध्यक्षता में एवं डॉ० रमेश पोखरियाल निशंक” पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री / पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड तथा पतंजलि आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति श्रद्धेय आर्चाय बालकृष्ण जी कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि रहे। साथ ही सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा डॉ० पंकज कुमार पाण्डेय एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० सुनील कुमार जोशी, प्रभारी कुलसचिव डॉ० राजेश कुमार अधाना की भी समारोह में गरिमामयी उपस्थिति रही।माननीय कुलाधिपति के हाथों बी०ए०एम०एस० (यू०जी) के 692 व एम०डी० / एम०एस० के 1006 छात्रों को उपाधि वितरण की गई। यू०जी० व पी०जी० में कुल 112 विद्यार्थियों को सर्वोच्च अंक हेतु स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। कुलाधिपति महोदय ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि आयुर्वेद पद्धति सर्वोच्च चिकित्सा पद्धति है, इसका उद्गम स्थल देवभूमि उत्तराखण्ड है। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा आयुर्वेद शिक्षा के उन्नयन व प्रचार-प्रसार में किये गये कार्यों/प्रयासों की सराहना की गई। आयुर्वेद के चिकित्सकों को पूर्ण गरिमा व उच्च मनोबल एवं सम्मान के साथ चिकित्सा कार्य करने को कहा आज सर्वत्र आयुर्वेद, योग, मर्म तथा आयुष पद्धति को सम्पूर्ण विश्व में स्वीकार्यता है। उन्होंने आयुर्वेद के उत्थान के लिए PPP (Product, Patent & Publication) पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि आयुर्वेद पद्धति से हम illness को wellness में बदल सकते हैं।

डॉ० निशंक ने कहा कि आयुर्वेद स्वास्थ व्यक्ति को भी ऐसी शिक्षा जिसमें व्यक्ति बीमार न पडे इसलिये अन्य पद्धतियों से आयुर्वेद शिक्षा बेहतर है हम सबको अपना सर्वोच्च योगदान आयुर्वेद की उन्नति में देना चाहिये। डॉ० आचार्य बालकृष्ण जी ने आज दुनिया में आयुर्वेद व योग के प्रति पंतजलि योगपीठ के प्रयासों से अवगत कराया।डॉ० सुनील जोशी कुलपति द्वारा उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा कोराना काल में किये गये व्यापक चिकित्सा सेवा के कार्यों के बारे में बताया व नये शैक्षिक पाठ्यक्रम, विभिन्न एम० ओ०यू० भारत सरकार व त्रिपुरा, सरकार फार्मेसी लाइसेंस, विभिन्न समय-समय पर आयोजित अन्तराष्ट्रीय सेमिनार आदि उपलधियों का विस्तार से उल्लेख किया तथा प्रथम दीक्षान्त समारोह में सभी शिक्षक फैकल्टी, अधिकारी कर्मचारीयों के योगदान की सराहना की ।दीक्षान्त समारोह में पच्चीस सौ से अधिक विद्यार्थी, शिक्षकगण, अधिकारी / कर्मचारी / प्रतिनिधि, समाजिक कार्यकर्ता विशिष्ट व्यक्ति उपस्थित रहे। विशिष्ठ व्यक्तियों में श्री आदेश चौहान विधायक रानीपुर हरिद्वार, डॉ० जे० ए० नौटियाल, अध्यक्ष परिषद उत्तराखण्ड प्रो० दिनेश चन्द्र शास्त्री कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, प्रो0 हेमचन्द्र पाण्डेय, कुलपति एच०एन०बी० मेडीकल विश्वविद्यालय, प्रो0 अनीता, यूसेक निदेशक, कार्यपरिषद् सदस्यगण- जस्टिस वी०एस० वर्मा, प्रो० प्रेमचन्द्र शास्त्री, एडवोकेट अरूण भट्ट, श्रीमती रश्मि, प्रो० अनिल झा, प्रो० अरूण त्रिपाठी निदेशक आयुर्वेद एवं यूनानी सेवायेंजी एवं डॉ० के० एस० नप्यायाल, जस्टिस बी०एस०वर्मा० श्रीमती सुशीला बलूनी राज्य आदोलनकारी स्वतंत्रत्रा सेनानी, अनिल राणा, भारत भूषण विद्यालंकार डॉ० जी०एस० जगपांगी लाइसेंस अधिकारी, डॉ० एच०एस० चंदोला, प्रो० सोमदेव शतांशु कुलपति गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय प्रो० ओम प्रकाश सिंह नेगी कुलपति उ० मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी, डॉ० मायाराम उनियाल, डॉ० विनीत अग्निहोत्री, डॉ० जी०एस० सक्सेना, डा० के० एस० नपच्याल डॉ० मिथलेश कुमार, योगेश विद्यार्थी, समस्त विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजो के निदेशक/प्राचार्य डॉ0 नरेन्द्रपाल वर्मा, डॉ० नरेन्द्र शर्मा कुलपति, प्रो० प्रदीप भारद्वाज कुलपति हिमालयन विश्वविद्यालय आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के परिसर निदेशक प्रो० डी०पी० पैन्यूली प्रो० पंकज शर्मा, प्रो० डी० सी० सिंह प्रो० अनूप कुमार गक्खड प्रो0 अजय गुप्ता, पप्रो0के.के.शर्मा, प्रो० औ०पी० सिंह प्रो० बालकृष्ण पंवार, उपकुलसचिव डॉ संजय गुप्ता उप कुलसचिव संजीव पाण्डेय, उपकुलसचिव डॉ शैलेन्द्र प्रधान, डॉ डी०के०सेमवाल, डॉ आशुतोष चौहा

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