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थायरॉइड के रोगी क्या खाएं और क्या न खाएं!

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हायपरथायराईडिज्म की समस्या में एक व्यक्ति की डाइट उसके रोग को अवश्य ही प्रभावित करती है। कुछ आहार द्रव्य रोग को ठीक करने का काम करते हैं जबकि कुछ स्थिति को और भी अधिक बिगाड़ देते हैं औषधियों के साथ प्रतिक्रिया कर आहार द्रव्य कई बार स्थिति को और भी दूभर बना देते हैं। थायरोटोकिसीकोसिस एक ऐसी समस्या है जिसमें थायराइड ग्रंथि अत्यधिक मात्रा में थायरोक्सिन का निर्माण करना प्रारंभ कर देती है। कुछ लोग इस स्थिति को “ओवरएक्टिव थायराइड” भी कहते हैं। ओवर एक्टिव थायराइड के लक्षणों में सामान्यतया निम्न लक्षण पाए जाते हैं:
नींद कम आना
मांसपेशियों में कमजोरी
घबराहट अत्यधिक
पसीना आना
बार -बार मोशन जाने की प्रवृत्ति आदि लक्षण देखे जाते हैं यह लक्षण महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा अधिक पाए जाते हैं ।
हाइपरथाइरॉयडिज़्म पर डायट किस प्रकार प्रभाव डालता है?
निम्नलिखित न्यूट्रिएंट्स एवं केमिकल्स हाइपरथायराइडिज्म के मरीज को प्रभावित करते हैं । इनमें कैल्शियम एवं विटामिन- डी सबसे महत्वपूर्ण है जो सीधे हाइपोथाइरॉएडिज्म के मरीज बोन मिनरल डेंसिटी को प्रभावित करते हैं।
क्या खाएं?
निम्नलिखित भोज्य पदार्थ ओवरएक्टिव थायरोइड से पीड़ित व्यक्ति को लेना चाहिए:
लो आयोडीन फूड जैसे:
अंडे का सफेद वाला हिस्सा
ताजी एवं फ्रोजेन सब्जियां
चाय
वनस्पति तेल
फल एवं फलों के रस आदि रोगी को दिए जा सकते हैं।
अमेरिकन थायरोइड एसोसिएशन ने लो आयोडीन डायट की कैटेगरी में cruciferous सब्जियों को रखा है । cruciferous सब्जियों में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो थायराइड हार्मोन के प्रोडक्शन को कम कर देते हैं जिससे आयोडीन का अपटेक कम हो जाता है जिससे मरीज को तत्काल लाभ मिलता है ।कुछ सब्जियां जैसे ब्रुसेल स्प्राउट्स, कैबेज (पत्ता गोभी) शलजम की जड़, मूली एवं फूलगोभी जैसी सब्जियां जिनमे सेलिनियम पाया जाता है लाभकारी है। सेलिनियम शरीर में पाए जाने वाला एक ऐसा मायक्रो न्यूट्रियंट तत्व है जो थायराइड हारमोंस की मेटाबॉलिज्म के लिए आवश्यक होता है ।विभिन्न शोध इस बात को दर्शाते हैं कि सेलीनियम के द्वारा ऑटोइम्यून -थायराइड -डिजीज की स्थिति में काफी लाभ मिलता है। जो लोग एंटी -थायराइड- मेडिकेशंस लेते हैं या फिर जो लोग सेलिनियम के सप्लीमेंट्स लेते हैं थायराइड का स्तर उनमें बहुत जल्दी सामान्य हो जाता है जबकि जो नहीं लेते हैं उनमें इसे सामान्य होने में कठिनाई होती है।
लौह तत्वों से युक्त भोज्य पदार्थ: ऐसे भोज्य पदार्थ जिनमें लौह तत्व प्रचुर मात्रा में हो हायोर थायराईडिज्म के रोगी के लिये अति आवश्यक हैं। लौह तत्व शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली के लिए अत्यंत आवश्यक है लौह तत्व द्वारा ही लाल रक्त कणिकाएँ अधिक से अधिक आक्सीजन को कोशिकाओं तक ले जाने में सक्षम होती हैं।शोधकर्ताओं ने भी लौह तत्व के हाइपोथाइरॉएडिज्म से संबंधों को स्थापित किया है ।अतः हाइपोथाइरॉएडिज्म के रोगी को लौह तत्व की मात्रा भोजन में लेते रहना चाहिए ।यह मछलियां, पालक,सामान्य किडनी बीन्स एवं काले चने में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
विटामिन डी से युक्त भोज्य पदार्थों की प्रचुर मात्रा में सेवन करना चाहिए। कैल्शियम विटामिन- डी दोनों ही न्यूट्रिएंट्स के रूप में काम करते हैं तथा हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं ।
इन्हें दूध, दही, ब्रोकली, संतरे के रस आदि से प्राप्त किया जा सकता है ।अधिकांश रोगी जो हाइपोथाइरॉएडिज्म से पीड़ित होते हैं उनमें विटामिन- डी की कमी देखी जाती है। विटामिन डी का प्रारंभिक स्रोत सूर्य का प्रकाश है जिसको पाकर शरीर स्वयं ही विटामिन- डी का निर्माण कर लेता है ।लेकिन सूर्य के प्रकाश के समीप जाने से स्किन कैंसर जैसे रोगों के संबंध में भ्रांतियों के कारण बहुत से लोग सूर्य के प्रकाश को लेने से बचते हैं तथा सनस्क्रीन लगाना शुरू करे।
हल्दी थायराईडिज्म के मरीजों में सूजन को कम करने में सहायक होता है
क्या ना लें:
अधिक मात्रा में आयोडीन युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए जैसे आयोडाइज्ड साल्ट,मछली,डेयरी प्रोडक्ट,अंडे का योक (पीला हिस्सा),सोया मिल्क ,सोया से बने खाद्य पदार्थ,सोयाबीन का तेल,ग्लूटिन आदि।
शोध से भी यह बात साबित हुई है की सीलिक डिजीज से पीड़ित रोगियों में आटोइम्यून थाइरॉएडिज्म यानि(ग्रेव्सडिजीज) की संभावना अधिक होती है। हालांकि इस बीमारी(सीलिक-डिजीज)का सटीक कारण पता नही है ,-शायद आनुवांशिक कारणों या ग्लूटिन के अधिक सेवन से आँतो के डेमेज होने के कारण यह रोग होता है।गेहूं,ओट्स ,जौ आदि ग्लूटिन के मुख्य स्रोत हैं अतः सीलिक रोग से पीड़ित हायपर थाराओइडिज्म के मरीजों में थायराइड की दवाओं के बेहतर अवशोषण के लिए ग्लूटीन-फ्री -डाइट दिये जाने की सलाह दी जाती है।
हाइपरथायरॉइडिज्म से पीड़ित मरीजों को कैफीन से युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
अतः हायपरथाइरॉएडिज्म के मरीजों को नियमित रूप से औषधियों के सेवन के अलावा अपने डाइट -प्लान पर भी ध्यान देना चाहिए ।इस लेख में बताए गए आहार द्रव्य के सेवन की हिदायतों का पालन कर हाइपरथाइरॉयडिज़्म के मरीज को दवा एवं आहार के बीच संतुलन स्थापित कर अपने हार्मोनल बैलेंस को मेंटेन रखना चाहिये। यह लेख जनसामान्य को थायराईडिज्म के प्रति जागरूक करने के लिए लिखा गया है ।किसी भी प्रकार से रोग द्वारा पीड़ित होने पर चिकित्सकीय परामर्श अत्यंत आवश्यक है।

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