आयुष दर्पण

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यूं तो हिमालयी क्षेत्र कैंसर को रोकने वाली अनेक वनस्पतियों का खजाना है ।
लद्दाख की नुब्रा घाटी भारतीय हिमालयी क्षेत्र में इकलौता ऐसा स्थान है जहां कैंसर के फैलाव को रोकने वाली वनस्पति खीचर (लाइसियम रूथेनिसियम) पैदा होती है।
बॉटेनिकल सर्वे आफ इंडिया ने इस वनस्पति Lycium ruthenicum की पहचान कर इसे सरंक्षित करने को आवश्यक बताया है। वैज्ञानिकों ने इस वनस्पति के लुप्त हो जाने की आशंका व्यक्त की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि गढ़वाल और कुमाऊं हिमालयी क्षेत्र में ‘खीचर’ नाम से प्रचलित इस वनस्पति की खेती हो सकती है। ‘खीचर’ कैंसर के अलावा गुर्दा, लीवर, नपुंसकता, बांझपन आदि रोगों के इलाज में बहुत कारगर है।
बॉटेनिकल सर्वे आफ इंडिया के वैज्ञानिकों के अनुसार लाइसियम रूथेनिसियम को क्षेत्रीय लोग विभिन्न नामों से पुकारते हैं। इसे खीचर, खितसर, कितसरमा, ब्लैक गोजी भी कहा जाता है। वैसे यह पाकिस्तान, कजाकिस्तान, मंगोलिया, चीन, दक्षिणी-पूर्बी रूस, ताजिकस्तान, उजबेकिस्तान आदि देशों में भी होती है, लेकिन भारतीय हिमालयी क्षेत्र में यह नुब्रा घाटी में ही होती है। जलवायु परिवर्तन के कारण नष्ट होते वासस्थलों और इसका संरक्षण न किए जाने से यह दुर्लभ प्रजाति की श्रेणी में आ रही है।वैज्ञानिकों की पहल के बाद इस वनस्पति को संरक्षित किये जाने की दिशा में पहल की उम्मीद जगी है।

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